दक्षिण कोसल में स्थापत्य कला का उद्भव शैलोत्खनित गुहा के रूप में सरगुजा जिले के रामगढ़ पर्वत माला में स्थित सीताबेंगरा से प्रारंभ होता है। पांचवीं-छठवीं सदी ईस्वीं से दक्षिण कोसल में स्थापत्य कला के अभिनव उदाहरण प्राप्त होने लगते हैं जिसके अन्तर्गत मल्हार तथा ताला में मंदिर वास्तु की …
Read More »महानदी अपवाह तंत्र की व्यापारिक पथ प्रणाली : शोध पत्र
विश्व में प्राचीन सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटी पर हुआ है। आरंभ में आदिम मानव के लिए स्वयं को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाना बेहद ही चुनौती पूर्ण था। आदिम मानव का निवास जंगलों में नदी-नालों, झरनों एवं झीलों के आस पास रहा करता था। उसके लिए जंगली …
Read More »प्राचीन स्थापत्य कला में हनुमान : छत्तीसगढ़
श्री हनुमान जन्मोत्सव विशेष आलेख हमारे देश में मूर्ति पूजा के रूप में महावीर हनुमान की पूजा अत्यधिक होती है क्योंकि प्रत्येक शहर, कस्बों तथा गांवों में भी हनुमान की पूजा का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। हनुमान त्रेतायुग में भगवान राम के परम भक्त तथा महाभारत के …
Read More »मल्हार की तपोलीन डिडिनेश्वरी देवी
अरपा, लीलागर और शिवनाथ नदी के बीच में बसी है प्राचीन नगरी मल्हार। कई धर्म, संस्कृतियों की धरोहरों को समेटे हुए यह कलचुरियों का गढ़ रही है। भगवान शिव के उपासक कलचुरि नरेश ने यहां मल्लाषरि, मल्लारी शिव का मंदिर बनवाया था। मल्लासुर दैत्य का संहार करने वाले शिव का …
Read More »समग्र सृष्टि के रचयिता देव शिल्पी विश्वकर्मा
माघ सुदी त्रयोदशी विश्वकर्मा जयंती पर विशेष आलेख सृजन एवं निर्माण का के देवता भगवान विश्वकर्मा है, इसके साथ ॠग्वेद के मंत्र दृष्टा ॠषि भगवान विश्वकर्मा भी हैं। ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐं लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता …
Read More »दक्षिण कोसल में गाणपत्य सम्प्रदाय एवं प्राचीन गणपति प्रतिमाएँ
भारतीय धार्मिक परंपरा में गाणपत्य सम्प्रदाय का प्रमुख स्थान माना गया है। वैदिक काल से देव के रूप में गणपति की प्रतिष्ठा हो गई थी। ऋग्वेद में रूद्र के गण मस्तों का वर्णन किया गया है।1 इन गणों के नायक को गणपति कहा गया है। पौराणिक देवमण्डल में गणपति का …
Read More »सरोवरों-तालाबों की प्राचीन संस्कृति एवं समृद्ध परम्परा : छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में तालाबों के साथ अनेक किंवदंतियां जुड़ी हुई है और इनके नामकरण में धार्मिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक बोध होते हैं। प्रदेश की जीवन दायिनी सरोवर लोक कथाओं तथा लोक मंगल से जुड़े हुए हैं। यहा तालाबों की बहुलता के पृष्ठभूमि में प्राकृतिक भू-संरचना, उष्ण-कटिबंधीय जलवायु नगर और ग्रामों का …
Read More »छत्तीसगढ़ की स्थापत्य कला में हनुमान
हमारे देश में मूर्ति पूजा के रूप में महावीर हनुमान की पूजा अत्यधिक होती है क्योंकि प्रत्येक शहर, कस्बों तथा गांवों में भी हनुमान की पूजा का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। हनुमान त्रेतायुग में भगवान राम के परम भक्त तथा महाभारत के युद्ध में अर्जुन के रथ …
Read More »मल्लालपत्तन (मल्हार) की स्थापत्य कला
मल्हार छत्तीसगढ़ राज्य के बिलासपुर जिले में 21090’ उत्तरी अक्षांस तथा 82020’ पूर्वी देशांतर में स्थित है। मल्हार बिलासपुर से मस्तूरी होते हुये लगभग 32 कि.मी. दूरी पर पक्के सड़क मार्ग पर स्थित हैं कल्चुरि शासक पृथ्वीदेव द्वितीय के कल्चुरि संवत् 915 (1163 ई.) का शिलालेख जो कि मल्हार से …
Read More »दक्षिण कोसल में संकर्षण प्रतिमाएं
बलराम अथवा संकर्षण कृष्ण के अग्रज थे और कृष्ण के साथ – साथ इनका भी चरित्र विभिन्न पुराणों और अन्य ग्रन्थों में विस्तार पूर्वक वर्णित है। वासुदेव कृष्ण के साथ वृष्णि कुल के पंचवीरों में संकर्षण बलराम को भी सम्मिलित किया गया है। विष्णु के दशावतारों में सम्मिलित देवता बलराम …
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