हमारी धरती धन-धान्य से सदैव भरी रहे अक्षय रहे अक्षय तृतीया का पर्व इन्हीं महत्व को उजागर करता है। छत्तीसगढ़ में अक्ती त्यौहार के साथ खेती किसानी की शुरुआत होती है। किसान अच्छी फसल के लिए धरती माता, बैल, खेती-बाड़ी के औजार और बीजों की पूजा अर्चना कर आशीर्वाद लेते …
Read More »शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा
जीवनदात्री पर लोगों को, घोर जुल्म करते देखा है ।शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा है । बड़े-बड़े बाँधों की बेड़ी, बँधी पाँव में सरिताओं के। ढोने को कचरे की ढेरी , सिर लादी नगरों- गाँवों के। रोग प्रदूषण का है जकड़ा, तिल-तिल कर मरते देखा है। शोषित …
Read More »लोकदेवी पतई माता
भारत में प्रकृति रुपी देवी देवताओं पूजा सनातन काल होती आ रही है क्योंकि प्रकृति के साथ ही जीवन की कल्पना की जा सकती है, प्रकृति से विमुख होकर नहीं। भारत देश का राज्य प्राचीन दक्षिण कोसल वर्तमान छत्तीसगढ़ और भी अधिक प्रकृति के सानिध्य में बसा है। प्राचीन ग्रंथों …
Read More »प्रकृति एवं पर्यावरण संरक्षण का पर्व वट सावित्री पूर्णिमा
आदि मानव सभ्यता के विकास के क्रम में ही प्रकृति का महत्व जान गया था, जिसमें नदी, पहाड़, वृक्ष, वन, वायु, अग्नि आकाशादि तत्वों की उसने पहचान कर ली थी और इनका प्रताप भी देख चुका था। इनको उसने देवता माना एवं इनकी तृप्ति का वैज्ञानिक साधन यज्ञ के रुप …
Read More »पर्यावरण : प्रकृति के सानिध्य ने बचाए कैंसर से प्राण
जिन्दगी कैरमबोर्ड जैसी होती है, बोर्ड पर जमी हुई गोटियाँ मनुष्य के पारिवारिक सपने। जरा भी ठोकर लगी और सपने कैरम की गोटियों की मानिंद बिखर जाते हैं। बिरले ही होते हैं जो जीवन की गोटियों को फ़िर से जमाने की और नया खेल शुरु करने की हिम्मत जुटा पाते …
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