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Tag Archives: डॉ नीता चौबीसा

गणेश चतुर्थी को चंद्र दर्शन निषेध क्यों?

भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को भगवान गणेश का जन्म हुआ था। देशभर में धूमधाम से इस दिन गणेश चतुर्थी का पर्व मनाया जाता है। इस बार यह शुभ तिथि आज है। गणेश चतुर्थी को कलंक चतुर्थी भी कहा जाता है, इस दिन चंद्र दर्शन करना निषेध …

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जिजीविषा और तप के बीज : हरितालिका तीज

उत्सवधर्मी एवं अनूठी भारतीय सांस्कृतिक परम्पराओं के लिए लोकप्रसिद्ध रंग निराले है जो जीवन दर्शन भी देते है और जीने को उमंग के साथ सलीके से जीना भी सिखाते है। भारतीय संस्कृति के सावन भादो मास हरित खुशहाली के साथ त्योहारों की लड़ियाँ ले कर आते है जिनके अपने विशिष्ट …

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शिव का अघोरी रूप एवं महिमा

श्रावण मास में शिवार्चना पर विशेष आलेख त्रिदेवों में एक शिव का रूप और महिमा दोनों ही अनुपमेय है। वेदों में शिव को रुद्र के नाम से सम्बोधित क्रिया गया तथा इनकी स्तुति में कई ऋचाएं लिखी गई हैं। सामवेद और यजुर्वेद में शिव-स्तुतियां उपलब्ध हैं। उपनिषदों में भी विशेषकर …

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नील की गोदी में सोये मिश्र का भारत से प्राचीन सम्बन्ध

नील का वरदान प्राचीन मिस्र की सभ्यता की वैज्ञानिक पड़ताल और उसकी सांस्कृतिक विरासत अपेक्षाकृत कई आयामो पर स्तुत्य है। प्राचीन मिस्रवासियों की अनेक उपलब्धियों में उत्खनन, सर्वेक्षण और निर्माण की तकनीक जिसने विशालकाय पिरामिड, मंदिर और ओबिलिस्क के निर्माण, सुनियन्त्रित सिचाई, स्वतंत्र लेखन प्रणाली, गणना विधि, एक व्यावहारिक और …

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गंगा अवतरण : आध्यात्मिक एवं वैज्ञानिक रहस्य

भारतीय अस्मिता के जागरण एवं राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया में अनेकानेक विभूतियों का महती योगदान रहा है। यदि भारत के प्राचीन काल के इतिहास को खंगाला जाय तो अनेक ऐसे अमर हुआत्माओं के नाम समक्ष आते है जिन्होने अपना सारा जीवन खपा दिया। हुतात्मा मात्र वह नही होता जो राष्ट्र …

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प्राचीन गुरुकुल पद्धति और शिक्षा के सरोकार

‘‘या प्रथमा संस्कृति विश्वारा’’ अर्थात् भारतीय संस्कृति विश्व की प्राचीनतम संस्कृति है। विश्व इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है कि प्राचीन काल में विश्व के दृश्य पटल पर यदि किसी देश की संस्कृति ने पूर्णता एवं दिव्यता के साथ-साथ सामाजिक वैज्ञानिक, दार्शनिक, आर्थिक समृद्धि एवं सांस्कृतिक-नैतिक श्रैष्ठता को प्राप्त …

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सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय : गुरु पूर्णिमा विशेष

“गु अँधियारी जानिये, रु कहिये परकाश। मिटि अज्ञाने ज्ञान दे, गुरु नाम है तास।” कबीरदास ने गुरु के अर्थ और उनके बारे में अंनत लिखा है ।यहाँ तक की सभी महापुरुषों ने गुरु को दुर्लभ मनुष्य जीवन की अत्यंत अनिवार्य कड़ी बताया है। कबीर कहते है-“गुरु गोविंद दाऊ खड़े काके …

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नवसस्येष्टि यज्ञ :पौराणिक ऐतिहासिक संदर्भ

भारत पर्वोत्सव की परम्परा अत्यन्त प्राचीन रही है फिर चाहे वह कोई भी त्यौहार क्यो न हो, हमारी उत्सवधर्मी संस्कृति में इसकी न केवल सदीर्घ परम्परा मौजुद है वरन् कई-कई प्रचलित रीतियों के साथ-साथ लोकमान्यताओं, अध्यात्मिक चेतना एवं धार्मिर्क आस्थाओं के बीज भी विद्यमान है। ऋतुराज वसंत की पूर्णाहुति पर …

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