बस्तर भूषण को बस्तर का प्रथम प्रामाणिक ग्रंथ माना जाता है। इस गंथ के लेखक ने अपने मित्र तहसीलदार द्वारा साझा किया गया एक संस्मरण का उल्लेख करते हुए लिखते हैं- “एक मित्र जो कोण्डागाँव में तहसीलदार थे, मुझसे कहते थे कि बड़ाडोंगर (बस्तर रियासत में दो डोंगर है, अर्थात …
Read More »देवी का ऐसा स्थान जहाँ पद चिन्हों से जाना जाता है वार्षिक भविष्य
शिव और शक्ति से उद्भूत लिंगेश्वरी देवी (लिंगई माता) लिंग स्वरूपा जहां विराजमान हैं। लगभग दो फुट का प्रस्तर लिंग शिव स्वरूप लिए हुए है, जिसमें समाहित शक्ति लिंगेश्वरी देवी का सिंगार लिए हुए हैं। जहां शिव और शक्ति एकाकार हुए हैं यही अद्भुत रूप लौकिक जगत के लिए दर्शनीय …
Read More »केशकाल का भव्य झरना : उमरादाह
प्रकृति की अपार खूबसूरती से भरा बस्तर संभाग अपने अकूत प्राकृतिक सौंदर्य और खनिज संपदा के लिए जाना जाता है। इसी क्रम में अविभाजित बस्तर जिले से मुक्त होकर बने नवीन जिले कोंडागांव में पर्यटन की अपार संभावनाएं है, जिसका सिरमौर केशकाल विकासखंड है। विगत एक दो वर्षों में चर्चा …
Read More »यहाँ था खरदूषण का मदिरालय
प्राकृतिक सुन्दरता तो मानो ऊपर वाले ने दिल खोल कर बस्तर में उंडेल दी है। जगह-जगह झरने. घने वन, नदी, पहाड, गुफा, वनफूलों की महक और महुए की गमक लिए इन वनस्थली पर शिवलिंग की उपस्थिति प्रकृति के प्रति उत्सुकता और हमारी आस्था को बढ़ाती ही है । किन्तु बस्तर …
Read More »क्या आप जानते हैं महिषासुर का वध कहाँ हुआ था?
महिषासुर राक्षस का उल्लेख देवी भागवत में हुआ है, जिसका संहार देवी दुर्गा ने किया था। वह पहाड़ी कन्दराओं एवं बीहड़ जंगलों में विचरण करता था । देवी भागवत में उपर्युक्त सभी कथाओं का वर्णन तो है, लेकिन महिषासुर का उद्भव कहाँ हुआ था? तथा उसका मर्दन किस स्थान पर …
Read More »बस्तर का तीजा व्रत एवं तीजा जगार
छत्तीसगढ़ अंचल के अन्य त्यौहारों में तीजा व्रत भी प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भासो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र से लेकर बस्तर तक मनाया जाता है। पोला तिहार से इस पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। विवाहित बेटियाँ-बहने अपने भाई के आने …
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