छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस है, यह राज्य पहले मध्य प्रदेश का हिस्सा था।, राज्य एवं राष्ट्र सीमाओं से जाने जाते हैं, प्रत्येक राष्ट्र एवं राज्य की सीमाएं होती हैं और एक उनकी एक राजधानी होती है। समय के साथ राज्य की सीमाओं एवं राजधानियों परिवर्तन होता है। नये राज्य, नये शासक तो नयी राजधानियाँ। जहाँ शासक को स्थल उपयुक्त दिखाई देता है, वहाँ सुरक्षा के मानकों एवं जीवन निर्वहन के प्राकृतिक साधनों की उपलब्धता पर राजाधानी के लिए स्थल का चयन होता है। यह भू-भाग दक्षिण कोसल से लेकर नवा रायपुर अटल नगर तक विभिन्न नामों से जाना गया। हम प्राचीन काल से अद्यतन वर्तमान छत्तीसगढ़ की छ: राजधानियों पर संक्षिप्त प्रकाश डालते हैं, तत्कालीन कांतर ( बस्तर) इसमें सम्मिलित नहीं था।
शरभपुर – ऐतिहासिक प्रमाणों से ज्ञात होता है कि शरभपुरीय राजवंश का शासनकाल 475 से 590 ईस्वीं तक था। इसके शासक का नाम शरभराज था तथा उसने अपने नाम पर शरभपुर नामक राजधानी बसाई थी। शरभराज का भानुगुप्त (आखरी गुप्त शासक) के ऐरण शिलालेख में गोपराज के दादा के रुप में उल्लेख किया गया है। ऐरण शिलालेख के अनुसार गोपराज की 510 ईस्वीं में एक युद्ध में मृत्यु हो गयी। शरभपुर कहां पर था इस पर विद्वान मतैक्य नहीं हैं। कोई वर्तमान सिरपुर को शरभपुर मानता है तो कोई सिंघाधुरवा को तो कोई संबलपुर को। पर इतना तो ज्ञात है कि इस भू-भाग में शरभपुर नामक कोई राजधानी थी।
श्रीपुर (सिरपुर)– छठवीं शताब्दी में पाण्डुवंशियों द्वारा शरभपुरीय वंश का अंत हुआ एवं पाण्डुवंश का शासन प्रारंभ हो गया। वे शरभपुर से अपनी राजधानी महानदी के तट पर ले आए और यहाँ श्रीपुर (सिरपुर) नामक बड़ा नगर बसाया है। वेनसांग, प्रसिद्ध चीनी यात्री, सन 639 ई० में भारतवर्ष जब आये तो वे वर्तमान छत्तीसगढ़ में भी पधारे थे। उनके यात्रा विवरण में लिखा है कि दक्षिण-कौसल की राजधानी सिरपुर थी। व्हेनसांग सिरपुर में कुछ दिन रहे थे।
तुम्माण- नवमीं सदी के उत्तरार्ध में कलचुरियों की प्रथम राजधानी तुम्माण बनी। कोकल्ल के पुत्र शंकरगण ने बाण वंशीय शासक विक्रमादित्य प्रथम को परास्त कर कोरबा के पाली क्षेत्र में कब्ज़ा कर लिया और छत्तीसगढ़ में कलचुरी वंश की नीव रखी. इनकी राजधानी तुम्माण थी. कल्चुरी ज्यादा समय तक यहां शासन नही कर पाये. उड़ीसा के सोनपुर के सोमवंशी राजा ने कल्चुरियों को पराजित किया. लगभग 1000 ई में कोकल्ल व्दितीय के पुत्र कलिंगराज ने पुन: कल्चुरी राजवंश की स्थापना की. आमोद ताम्रतपत्र में कलिंगराज की तुम्माण विजय का उल्लेख है. इसलिये कलचुरी राजवंश का वास्तविक संस्थापक कलिंगराज को माना जाता है।
रतनपुर- रतनदेव ने1050 ईस्वीं में नवीन राजधानी रतनपुर की स्थापना की। कचुरियों की राजधानी तुम्माण से रतनपुर आ गयी। रतनदेव वीर थे और विद्या तथा कला प्रेमी भी थे. रतनदेव ने भी अनेक मन्दिरों का निर्माण करवाया और तालाब खुदवाये. रतनपुर के महामाया मंदिर का निर्माण भी रतनदेव ने 11 वीं शताब्दी में कराया था. पृथ्वीदेव व्दितीय भी बड़े योध्दा थे. उसके समय सोने और ताँबे के सिक्के जारी किये गये थे. इन्होने सकल कोसलाधिपति की उपाधि धारण की थी. पृथ्वीदेव ने रतनपुर में एक बड़े तालाब का निर्माण कराया।
रायपुर- रतनपुर के कल्चुरि १४ वी सदी के अंत में दो शाखाओ में विभाजित हो गए. गौण शाखा रायपुर में स्थापित हुई. इस तरह रायपुर कलचुरियों में विभाजन के बाद राजधानी बना। 14 वीं सदी के अंत में रतनपुर के राजा का रिश्तेदार लक्ष्मीदेव प्रतिनिधि के रूप में खल्वाटिका भेजा गया. लक्ष्मीदेव के पुत्र सिंघण ने शत्रुओ के १८ गढ़ जीते. सिंघण ने रतनपुर की प्रभुसत्ता नहीं मानी और स्वतंत्र राज्य की स्थापना की. सिंघण के पुत्र रामचंद्र ने रायपुर नगर की स्थापना 1409 ई में की. रायपुर की लहूरी शाखा की स्थापना केशवदेव ने की थी. परन्तु कल्चुरी शासको में रतनपुर शाखा के शासको ने ज्यादा प्रभाव डाला.
नया रायपुर अटल नगर – छत्तीसगढ़ का गठन 1 नवम्बर 2000 को हुआ था और यह भारत का २६वां राज्य है। पहले यह मध्य प्रदेश के अन्तर्गत था। केन्द्र में भाजपा की अटल जी की सरकार थी उन्होंने छत्तीसगढ़, झारखंड एवं उत्तराखंड नामक तीन राज्यों का निर्माण किया। छत्तीसगढ़ राज्य बनने के पश्चात उसकी राजधानी के प्रथम मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने स्थल चयन किया। उसके पश्चात अगले मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नई राजधानी को मूर्त रुप दिया। जो वर्तमान में नया रायपुर अटल नगर के नाम से जानी जाती है।
इस लेख में प्राचीन काल से लेकर अद्यतन दक्षिण कोसल के नाम से प्रख्यात इस भू-भाग पर बदलती सीमाओं एवं राजसत्ता के अनुसार उनकी राजधानियों का वर्णन किया गया है। शासन परिवर्तन होने के साथ राजधानियों में भी परिवर्तन हुआ। शरभपुर से लेकर अटल नगर तक इस भू-भाग के सत्ता का केन्द्र कई बार बदला। वर्तमान में नवा रायपुर अटल नगर को छत्तीसगढ़ प्रदेश की राजधानी होने का गौरव प्राप्त है।
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