सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के अन्तर्गत हरिहरपुर ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम रामेश्वरनगर है। ग्रामीणों की मान्यतानुसार इस गांव की पहाड़ी पर राम मंदिर में रखा तीर-धनुष भगवान श्री राम का है। बताया जाता है कि यही धनुष परशुराम ने भगवान श्री राम को दिया था।
भारत के ह्दय स्थल मध्य प्रदेश के दक्षिण पूर्व भाग में ‘‘दक्षिण कोसल‘‘ धान का कटोरा के नाम से विख्यात छत्तीसगढ़ राज्य स्थित है। यह राज्य प्राचीन काल से कला एवं स्थापत्य के लिए प्रसिद्ध रहा है यहां की कला एवं संस्कृति की प्रसिद्धी देश हीं नही वरन विदेशों तक फैली हुई है।
छत्तीसगढ़ के उतरांचल हिस्से में आदिवासी बहुल अंचल सरगुजा है, यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक स्थलें, लोक जीवन की झाँकी, कला एवं संस्कृति, परंपराऐं, रीति-रिवाज, पर्वत-पठार, नदियां एवं कलात्मक आकर्षण बरबस हीं मन को मोह लेते हैं। सरगुजा अंचल में अनेक कला एवं स्थापत्य बिखरे पड़े हें।
रामेश्वर नगर का तीर-धनुष :-
सूरजपुर जिले के प्रेमनगर विकासखण्ड के अन्तर्गत हरिहरपुर ग्राम पंचायत का आश्रित ग्राम रामेश्वरनगर है। ग्रामीणों की मान्यतानुसार इस गांव की पहाड़ी पर राम मंदिर में रखा तीर-धनुष भगवान श्री राम का है। बताया जाता है कि यही धनुष परशुराम ने भगवान श्री राम को दिया था।
प्रेमनगर विकासखण्ड मुख्यालय से रामेश्वर नगर गांव की दूरी लगभग 30 किलोमीटर है। इस गांव के मूल निवासी बिंझवार, बरगाह, अहिर एवं धनुहार जाति के लोग हैं। यहां बिंझवार जाति के लगभग 90 घर हैं। इस गांव के लोगों की श्रद्धा भगवान श्रीराम के प्रति अटूट है। रामेश्वर नगर गांव के समीप हसदो नदी मनोहारी ढंग से बहती है। इस नदी के कारण गांव की सुंदरता दोगुनी हो जाती है। इसी गांव के समीप मनोरम अमझर पहाड़ है।
इसी पहाड़ पर नाले के समीप एक मंदिर में लोहे का तीर-धनुष रखा हुआ है। इस धनुष की लंबाई 12 फीट एवं वजन 90 किलो है। ग्रामीणों की मान्यता है कि यह धनुष भगवान श्रीराम का है। ग्रामीण बताते है कि पहले यह धनुष पहाड़ी पर रखा हुआ था बाद में एक ग्रामीण के द्वारा राम मंदिर बनवाकर उसी में रखवाया गया है।
मंदिर के ठीक उपर सोनसाय गवंटिया सं. 1962 ईंस्वी को तैयार लिखा हुआ है। धनुष को देखने से ऐसा प्रतीत होता है कि इसे कोई साधारण इंसान तो प्रयोग नही कर सकता है।
अमझर पहाड़ी मे जहां पर तीर-धनुष रखा हुआ है वहां चारो तरफ पत्थर निर्मित अनेक गुफाएं भी है। इन गुफाओं से ज्ञात होता है कि इस क्षेत्र में प्राचीन बसाहट अवश्य रही होगी।
लेखक रामेश्वर नगर गांव में 8 मई 2011 को पहुंचा तो गांव के ही कक्षा दसवीं के छात्र बीरबल सिंह पिता शिवनंदन जाति बिंझवार के साथ अमझर पहाड़ पर मंदिर में रखे तीर-धनुष को देखा। इस धनुष के प्रति आम लोगों की धारण चाहे जो भी हो, इतिहासकार एवं पुरातत्वविद इसे जो भी माने किन्तु रामेश्वर नगर वासियों के लिए यह धनुष अटूट श्रद्धा का केन्द्र है वे इसे भगवान श्री राम का ही धनुष मानते हैं।
रामेश्वर नगर गांव मे पहुंचने के लिए संभाग मुख्यालय अम्बिकापुर से दो मार्ग हैं। पहला मार्ग अम्बिकापुर-सूरजपुर-श्रीनगर-प्रेमनगर होते रामेश्वर नगर तक पहुंचा जा सकता हैं। इस रास्ते से कुल दूरी 115 किलोमीटर है। दूसरा मार्ग अम्बिकापुर-उदयपुर-तारा-प्रेमनगर होते रामेश्वर नगर पहुंचा जा सकता है। इस रास्ते से कुल दूरी लगभग 111 किलोमीटर है।
आलेख