“जिस रोज 144 दफा लगाया गया था, उस रोज तमोरा गांव में सभा थी। वहां पर मैं, मेरी माँ और कुछ अन्य स्त्रियां सभा में गई। हम लोगों को सभा में जाने से किसी ने रोका नहीं। कुरुभाठा, ढोंगा, धौराभाठा, डूमरडीह इत्यादि के लोगों को डोर लगा के रोक रहे …
Read More »सर्व अनिष्ट से ग्राम रक्षा का लोक पर्व सवनाही बरोई
छत्तीसगढ़ की कृषि आधारित संस्कृति, रीति-रिवाज और पर्व अनूठे हैं। यहां पर प्रचलित लोक पर्वों में लोक मंगल कामना सदैव रहती है। यहां जड़-चेतन सभी उपयोगी संसाधनों की विभिन्न लोक पर्वों में पूजा की जाती है। चाहे वह कृषि का औजार हो या जीव-जंतु या प्रकृति देव। छत्तीसगढ़ में चौमासा …
Read More »दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में नृत्य एवं वाद्यों का शिल्पांकन
ऐसा कौन अभागा है, जिसे गायन, वादन, नृत्य दर्शन एवं संगीत श्रवण न रुचता होगा। प्रकृति में चहूं ओर संगीत भरा पड़ा है, कहीं शुन्यता नहीं है। इसी संगीत से मनुष्य ने भी स्वयं को जोड़ा एवं विभिन्न ध्वनियों के लिए वाद्य निर्मित किए एवं स्वयं को उसकी लय-ताल में …
Read More »इतिहास जानने का प्रमुख स्रोत छत्तीसगढ़ की लोक कथाएं
छत्तीसगढ़ के भू-भाग से मानव सभ्यता का इतिहास जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ के पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं। धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का उल्लेख मिलता है। सभ्यता की शुरूआत होने का यहां संकेत मिलता है। इसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी कहा गया है। जीव जंतुओं और वनस्पतियों की …
Read More »ब्रिटिश संसद के पहले भारतीय सांसद
फारस पर्शिया या आधुनिक समय का ईरान प्राचीन काल से आहुर मजदा धर्म के मानने वालों का क्षेत्र था. इनका धर्म ग्रंथ जेंद अवेस्ता था जिसकी समानता ऋग्वेद के साथ कथ्य के आधार पर की जाती है. इसी आधार पर माना जाता है कि सुदूर अतीत में ऋग्वैदिक आर्य और …
Read More »सिसोदिया वंश मार्तण्ड महाराणा प्रताप
संस्कृति और इतिहास में राजस्थान नाम का उल्लेख प्राचीन काल में नहीं मिलता। वर्तमान राजस्थान के क्षेत्र में प्राचीन काल से अनेक राजनैतिक इकाइयों का उल्लेख मिलता है, जिनमें मत्स्य (जयपुर का उत्तरी भाग) सपादलक्ष (जयपुर का दक्षिणी भाग) कुरुक्षेत्र (अलवर का दक्षिणी भाग) शूरसेन (भरतपुर, धौलपुर तथा करौली) शिव …
Read More »महाराणा प्रताप महान, अकबर नहीं : विश्लेषण
*फारुखअहमदखान – केवल ‘महान‘ कह देने से या लिख देने से कोई ‘महान‘ नहीं हो जाता है। ‘महान‘ अथवा ‘महानता‘ का भावार्थ, ‘उत्कृष्ट, अति उत्तम, सर्वश्रेष्ठ तथा बहुत बढ़िया/शानदार, उद्देश्यपूर्ण कर्म, जिसमें व्यक्ति विशेष, स्वयं का त्याग/बलिदान/नि:स्वार्थ भाव/सहायता या भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हो और जिसकी एक स्वर में …
Read More »छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश के नवगीतकार
एक नवंबर 2020 को पृथक राज्य बनने से पूर्व छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश का अविभाज्य अंग था। प्राकृतिक सौंदर्य एवं अपार खनिज संपदा तथा समृद्ध साहित्यिक और सांस्कृतिक भंडार होने के बावजूद पहले उसकी कोई अलग पहचान से नहीं थी। दुष्यंत कुमार का यह शेर छ.ग. पर सटीक बैठता था और कई …
Read More »कहत कबीर सुनो भाई साधो…
कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथश्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं। किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते हैं– …
Read More »मैं धरती-आबा हूं! भगवान बिरसा मुंडा
झारखंड के छोटा नागपुर स्थित उलीहातु गाँव में 15 नवम्बर, 1875 को जन्में बिरसा मुंडा को जनजातीय समाज सहित संपूर्ण देश ने अपना भगवान माना है। बचपन से कुशाग्र बुद्धि के धनी बिरसा ने ईसाई षड्यंत्रों, सामाजिक कुरीतियों आदि को अपने तर्कों से पटखनी दी और जमकर प्रतिकार किया। वहीं, …
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