छत्तीसगढ़ के भू-भाग से मानव सभ्यता का इतिहास जुड़ा हुआ है। इस संदर्भ के पुरातात्विक साक्ष्य मिलते हैं। धार्मिक और पौराणिक ग्रंथों में छत्तीसगढ़ का उल्लेख मिलता है। सभ्यता की शुरूआत होने का यहां संकेत मिलता है। इसे ऋषि-मुनियों की तपोस्थली भी कहा गया है। जीव जंतुओं और वनस्पतियों की …
Read More »सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा
भारत धार्मिक आस्था वाला देश है। यहां के रहवासी पेड़-पौधों, पत्थरों और धातुओें में ही नहीं बल्कि नदियों में भी देवी देवताओं के दर्शन करते हैं। भारत में गंगा, गोदावरी, यमुना, सरस्वती, कावेरी, ब्रम्हपुत्र आदि महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, जिन्हें प्राणदायनी माना जाता है। भारतीय जीवन और संस्कृति में नदियों का …
Read More »सरोवरों-तालाबों की प्राचीन संस्कृति एवं समृद्ध परम्परा : छत्तीसगढ़
छत्तीसगढ़ में तालाबों के साथ अनेक किंवदंतियां जुड़ी हुई है और इनके नामकरण में धार्मिक, ऐतिहासिक तथा सामाजिक बोध होते हैं। प्रदेश की जीवन दायिनी सरोवर लोक कथाओं तथा लोक मंगल से जुड़े हुए हैं। यहा तालाबों की बहुलता के पृष्ठभूमि में प्राकृतिक भू-संरचना, उष्ण-कटिबंधीय जलवायु नगर और ग्रामों का …
Read More »भीषण गर्मी में प्यास बुझाता प्राकृतिक जलस्रोत गेल्हा चूआ
मनुष्य की बसाहट के लिए स्थान विशेष पर जल की उपलब्धा होना आवश्यक है। प्राचीन काल में मनुष्य वहीं बसता था जहाँ प्राकृतिक रुप जल का स्रोत होता था। पूरे भारत में जहाँ भी हम देखते है वहाँ प्राचीन काल की बसाहट जल स्रोतो के समीप ही पाई जाती है। …
Read More »लोक जीवन की शक्ति, लोक पर्व अक्ति
हमारा भारत का देश गाँवों का देश है। गाँव की गौरव गरिमा लोक परम्पराएं तीज त्यौहार, आचार विचार आज भी लोक जीवन के लिए उर्जा के स्रोत हैं। गाँव की संस्कृति लोक संस्कृति कहलाती है। जनपदों लोकांचलों में विभक्त ये गाँव अपनी सांस्कृतिक परम्पराओं को सांसों में बसाए हुए हैं। …
Read More »सकल सृष्टि की जनक माँ : मातृ दिवस विशेष
माँ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर मन आनन्द से भर कर हिलोर लेने लगता है। माता, जननी, मम्मी, आई, अम्माँ इत्यादि बहुत से नामों से माँ को पुकारते हैं भाषा चाहे कोई भी हो पर माँ शब्द के उच्चारण मात्र से उसके आँचल की शीतल छाया एवं प्यार भरी …
Read More »धन धान्य एवं समृद्धि के लिए कठोरी पूजा
वनवासी बाहुल जिला सरगुजा की प्राकृतिक सौम्यता हरियाली लोक जीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज एवं पुरातात्विक स्थल बरबस ही मनमोह लेते हैं। वैसे तो सरगुजा की लोक संस्कृति में अनेकों त्योहार पर्व मनाए जाते हैं उनमें कठोरी पूजा मनाए जाने की परंपरा प्राचीन काल से रही है। हर साल …
Read More »केवला रानी : देवार लोकगाथा
भारत का सांस्कृतिक इतिहास अत्यंत गौरवशाली है। यहाँ प्रचलित संस्कारों, गीतों, लोकाचारों, अनुष्ठानों, व्रत और तीज-त्यौहारों में कथाओं-गाथाओं का बड़ा प्रासंगिक व मार्मिक समायोजन होता है। इन्ही गाथाओं को पुनः स्मरण करने के लिए ही तीज-त्यौहार व पर्व मनाए जाते हैं। वैसे भी भारत पर्वों व उत्सवों का देश है। …
Read More »पंडवानी के सूत्रधार श्रीकृष्ण
भारतीय लोक जीवन सदैव से ईश्वर और धर्म के प्रति आस्थावान रहा है। निराभिमान और निश्च्छल जीवन लोक की विशेषता है। फलस्वरूप उसका जीवन स्तर सीधा-सादा और निस्पृह होता है। उसकी निस्पृता और उसकी सादगी लोक धर्म की विशिष्टता है। धर्म और ईश्वर के प्रति अनुरक्ति और उसकी भक्ति लोक …
Read More »लोक देवी रामपुरहीन डोंडराही माता
लखनपुर उदयपुर ब्लाक मुख्यालय की सरहद पर बिलासपुर मुख्य मार्ग पर स्थित ग्राम जेजगा मे अंचल की आराध्य देवी माता रामपुरहीन सिद्ध पीठ के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि यहां से कोई भी श्रद्धालु-भक्त खाली हाथ नहीं लौटता। माता रामपुरहीन को अनेकों नाम जैसे डोंडराही अर्थात (अल्हड …
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