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संस्कृति

संस्कृति विभाग में लोक संस्कृति, नृत्य, त्यौहार-पर्व, परम्पराएं, शिष्टाचार, सामुदायिक त्यौहार एवं लोक उत्सव को स्थान दिया गया है।

चर्च की सत्ता के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा

अमर क्रान्तिकारी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 छोटा नागपुर कहे जाने वाले क्षेत्र में हुआ था। यह क्षेत्र अब झारखंड में है। उनकी माता सुगना देवी और पिता करमी मुंडा का गाँव झारखंड प्रांत के रांची जिले में पड़ता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम साल्वा में हुई।अंग्रेजी शिक्षा …

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छत्तीसगढ़ की भुंजीया जनजाति और उनका रामायणकालीन संबंध

प्राचीन काल से ही भारत में जनजातियों का अस्तित्व रहा है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल और आधुनिक काल में वर्तमान समय तक जनजातीय संस्कृति की निरंतरता दिखाई देती है। आरण्यक जीवन, फिर ग्रामीण संस्कृति और कालांतर में नगरीय सभ्यता का उद्भव इन सबका एक क्रमिक विकासक्रम दिखाई देता …

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सिंधुघाटी की परंपराएं अभी शेष हैं बस्तर में

सिंधु निवासियों ने आगे बढ़कर भारत में अपने निवास के लिए वैसे ही क्षेत्र को चुना जैसा सिंधु का इलाका रहा, भरपूर जल, घने वन और सहचर जीव, जानवर। उन स्थलों में आज का बस्तर अधिक उपयुक्त रहा। छत्तीसगढ़ के सुदूर दक्षिण में घने जंगलों, नदी घाटियों से आच्छदित यह क्षेत्र आज अपने अंदर विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति को आत्मसात किए हुए हैं।

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युवाओं के आदर्श प्रेरणा स्रोत श्री हनुमान

मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम के सर्वोत्तम सेवक, सखा, सचिव और भक्त श्री हनुमान हैं। प्रभुराम की भारतीय जनमानस में जिस प्रकार पूजा की जाती है, ठीक उसी प्रकार उनके प्रिय सेवक हनुमान जी की भी पूजा की जाती है। श्री हनुमान जी को रुद्रावतार भी माना जाता है। इनकी पूजा …

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मन की शक्ति जुटाने का पावन पर्व नवरात्र

चैत्र नवरात्र वसंत के समय आता है, ऐसे में जहां प्राकृतिक परिवर्तन पुराने आवरण को त्यागकर नएपन को वरण करने का संदेश देता है, वहीं मा शक्तिस्वरूपा की पूजा-अर्चना से मन में व्याप्त दुर्बलता को मिटाने, नवशक्ति – नवऊर्जा के आह्वान की कामना का शुभ अवसर भी प्राप्त होता है। …

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रामगढ़ का रामनवमी मेला

कालीदास की तपोभूमि कहे जाने वाले विश्व प्रसिद्ध रामगिरि रामगढ़ पर्वत पर मेला लगने का शुभारंभ कब से हुआ इसका कोई लिखित एतिहासिक प्रमाण तो नहीं मिलता और ना ही कोई चश्मदीद गवाह बाकी है। अपितु अंदाजा लगाया जाता है कि उस जमाने में कल्चुरी राजाओं के बाद के हुक्मरानों …

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विंध्याचल धाम की महिमा

भारतवर्ष की सांस्कृतिक चेतना प्रारंभ से ही मातृ शक्ति के प्रति श्रद्धा, सम्मान, अर्चन और वंदन के भाव से समर्पित रही है। इस समस्त संसार में एकमात्र हमारा ही देश है जहां स्त्री को जगत जननी मानकर उसकी पूजा की जाती है। सदियों से इस पवित्र भूमि पर “ यत्र …

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नवरात्र की वैज्ञानिकता

ऋग्वेद के देवी सूक्त में मां आदिशक्ति स्वयं कहती हैं, ‘ अहं राष्ट्री संगमनी वसूनां, अहं रूद्राय धनुरा तनोमि।’ अर्थात् मैं ही राष्ट्र को बांधने और ऐश्वर्य देने वाली शक्ति हूँ, और मैं ही रुद्र के धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाती हूं। हमारे तत्वदर्शी ऋषि मनीषा का उपरोक्त प्रतिपादन वस्तुतः स्त्री …

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कनकां दी मुक गई राखी, ओ जट्टा आई बैसाखी

बैशाखी उत्तर भारत में पंजाब एवं हरियाणा में जोर शोर से मनाई जाती है। इस दिन गंगा जी का धरती पर अवतरण हुआ था तथा गुरु गोविंद सिंह जी ने 1699 ईस्वीं में खालसा पंथ सजाया था। यानि खालसा पंथ की स्थापना इसी दिन हुई थी। इसके साथ ही यह …

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शक्ति रुपेण संस्थिता : छत्तीसगढ़ की देवियां

छत्तीसगढ़ में देवियां ग्रामदेवी और कुलदेवी के रूप में पूजित हुई। विभिन्न स्थानों में देवियां या तो समलेश्वरी या महामाया देवी के रूप में प्रतिष्ठित होकर पूजित हो रही हैं। राजा-महाराजाओं, जमींदारों और मालगुजार भी शक्ति उपासक हुआ करते थे। वे अपनी राजधानी में देवियों को ‘‘कुलदेवी’’ के रूप में …

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