January 21, 2022
इतिहास, पर्यटन
दुर्ग से 14 किमी दूरी पर स्थित यह स्थल आध्यात्मिक भावभूमि का परिचय देता है। शिवनाथ नदी के पश्चिमी तट पर स्थित नगपुरा में कलचुरि कालीन जैन स्थापत्य कला का इतिहास सजीव होता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 6 से लगी हुई दुर्ग-जालबांधा सड़क पर स्थित श्री उवसग्गहरं पार्श्व तीर्थ का प्रवेश …
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January 1, 2022
इतिहास, पर्यटन, पुरातत्व
बस्तर अपनी जनजातीय संस्कृति एवं प्राकृतिक सुन्दरता के लिए प्रसिद्ध है । बस्तर का प्रवेश द्वार केसकाल ही बस्तर की जनजातीय कला एवं संस्कृति, धरोहर के रूप में अनेक प्राचीन भग्नावशेष, कल-कल छल-छल करते झरने एवं जलप्रपात बस्तर की प्राकृतिक एवं पुरातात्विक वैभव का आभास करा देता है। केसकाल में …
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December 28, 2021
इतिहास, पर्यटन
रायपुर से 140 कि.मी. एवं डोंगरगढ से 40 कि.मी. की दूरी पर स्थित खैरागढ, इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय के लिए प्रसिध्द है। स्वाधीनता से पूर्व खैरागढ एक रियासत थी। खैरागढ रियासत की राजकुमारी इंदिरा की स्मृति में स्थापित खैरागढ का इंदिरा कला एवं संगीत विश्वविद्यालय, एशिया महाद्वीप का इकलौता …
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December 18, 2021
इतिहास, पर्यटन, पुरातत्व
छत्तीसगढ़ को संत महात्माओं की जन्म स्थली कहा जाता है। यहाँ की शस्य श्यामला पावन भूमि में अनेकों संत महात्माओं का जन्म हुआ। उनमें 18 वीं शताब्दी के महान संत सतनाम सम्प्रदाय के प्रणेता, सामाजिक क्रांति के अग्रदूत गुरु घासीदास का जन्म माघ पूर्णिमा 18 दिसम्बर 1756 को महानदी के …
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December 16, 2021
पर्यटन, पर्यावरण
उदंती अभयारण्य वर्ष 1984 में 237.5 वर्ग किमी के क्षेत्रफ़ल में स्थापित किया गया है। छत्तीसगढ़ उड़ीसा से लगे रायपुर-देवभोग मार्ग पर स्थित है। समुद्र सतह से इसकी ऊंचाई 320 से 370 मी है। अभयारण्य का तापमान न्यूनतम 7 सेंटीग्रेड से अधिकतम 40 सेंटीग्रेड रहता है। पश्चिम से पूर्व की …
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December 14, 2021
पर्यटन
छत्तीसगढ़ में कबीरपंथियों की तीर्थ स्थली दामाखेड़ा, रायपुर बिलासपुर मार्ग पर सिमगा से 10 किमी दूरी पर एक छोटा सा ग्राम है। यह कबीरपंथियों की आस्था का सबसे बड़ा केन्द्र माना जाता है। कबीर साहब के सत्य, ज्ञान तथा मानवतावादी सिद्धांतों पर आधारित दामाखेड़ा में कबीर मठ की स्थापना वर्ष …
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December 9, 2021
इतिहास, पर्यटन, पुरातत्व
आदिकाल से छत्तीसगढ़ अंचल धार्मिक एवं सांस्कृतिक केन्द्र रहा है। यहाँ अनेक राजवंशों के साथ विविध आयामी संस्कृतियाँ पल्लवित एवं पुष्पित हुई। यह पावन भूमि रामायणकालीन घटनाओं से जुड़ी हुई है। यही कारण है कि छत्तीसगढ़ में शैव, वैष्णव, जैन, बौद्ध एवं शाक्त पंथों का समन्वय रहा है। वैष्णव पंथ …
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December 3, 2021
इतिहास, पर्यटन, पुरातत्व
बिलासपुर-कोरबा मुख्यमार्ग पर 25 किमी की दूरी पर प्राचीन नगर रतनपुर स्थित है। पौराणिक ग्रंथ महाभारत, जैमिनी पुराण आदि में इसे राजधानी होने का गौरव प्राप्त है। त्रिपुरी के कलचुरियों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर दीर्घकाल तक शासन किया। इसे चतुर्युगी नगरी भी कहा जाता है, जिसका तात्पर्य है …
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December 1, 2021
इतिहास, पर्यटन, पुरातत्व
प्रागैतिहासिक काल के मानव संस्कृति का अध्ययन एक रोचक विषय है। छत्तीसगढ़ अंचल में प्रागैतिहासिक काल के शैलचित्रों की विस्तृत श्रृंखला ज्ञात है। पुरातत्व की एक विधा चित्रित शैलाश्रयों का अध्ययन है। चित्रित शैलाश्रयों के चित्रों के अध्ययन से विगत युग की मानव संस्कृति, उस काल के पर्यावरण एवं प्रकृति …
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November 17, 2021
पर्यटन
सीतानदी अभयारण्य की स्थापना 1974 में हुई थी एवं इसका क्षेत्रफ़ल 553 .36 वर्ग किमी है। यहाँ की विशेषताओं में 1600 मिलीमीटर वार्षिक वर्षा, तापमान न्यूनतम 8.5 से अधिकतम 44.5 डिग्री सेल्सियस पर रहता है। सीतानदी के आधार पर अभयारण्य को सीतानदी नाम दिया गया है। जो कि अभयारण्य में …
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