2 weeks ago
आस्था, तीज त्यौहार, पर्यटन, पुरातत्व, पौराणिक संस्कृति, प्राचीन इतिहास, प्राचीन साहित्य, लोक संस्कृति, विविध, वैदिक संस्कृति, संस्कृति
माँ धूमावती सनातन धर्म में सातवीं महासिद्धि (महाविद्या) के रुप में शिरोधार्य हैं। “ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा” माँ धूमावती का बीज मंत्र है। माँ सभी अपकारी तंत्रों मंत्रों और शक्तियों की विनाशक, मानव जाति के लिए सर्वाधिक कल्याण कारी और अपराजेय बनाने वाली देवी हैं। इनके दर्शन ही …
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3 weeks ago
आस्था, इतिहास, काष्ठ शिल्प, तीज त्यौहार, पर्यटन, पौराणिक संस्कृति, मड़ई-मेला, लोक संस्कृति, विविध, वैदिक संस्कृति, संस्कृति
जनजातीय समुदाय में श्री जगन्नाथ धाम का माहात्म्यजगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8 वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी …
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3 weeks ago
आस्था, इतिहास, तीज त्यौहार, पर्यटन, पौराणिक संस्कृति, प्राचीन इतिहास, मड़ई-मेला, लोक संस्कृति, विविध, वैदिक संस्कृति, संस्कृति
छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …
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March 19, 2024
पर्यटन, मड़ई-मेला, संस्कृति
नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी स्थित है। गिरौदपुरी जाने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से कटगी से और गिधौरी से बरपाली होकर जाने का रास्ता है। यहाँ सतनाम पंथ के गुरु घासीदास की जन्मस्थल है और जोंक नदी के …
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March 8, 2024
इतिहास, पर्यटन, संस्कृति
यात्रा संस्मरण खरौद, महानदी के किनारे बिलासपुर से 64 कि. मी., जांजगीर-चांपा जिला मुख्यालय से 55 कि. मी., कोरबा से 105 कि. मी., राजधानी रायपुर से बलौदाबाजार होकर 120 कि. मी. और रायगढ़ से सारंगढ़ होकर 108 कि. मी. और शिवरीनारायण से मात्र 02 कि. मी. की दूरी पर बसा …
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December 5, 2023
पर्यटन, विविध
नदी-कछार, जंगल-पहार, खेत-खार, पशु-पक्षी यानी कि प्रकृति ने मेरे बालमन को सदैव अपनी ओर आकर्षित किया है। 40 वर्षों तक पढ़ते-पढ़ाते स्कूल में बच्चों के बीच रहा। सेवा-निवृत्ति के बाद आज भी मेरे अंतस मे बाल स्वभाव नित हिलोरें लेता है। बच्चों को देखकर मन स्मृतियों में खो जाता है। …
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September 27, 2023
पर्यटन
27 सितम्बर विश्व पर्यटन दिवस विशेष आलेख पर्यटन की दृष्टि से देखें तो छत्तीसगढ़ बहुत समृद्ध है। यहाँ पर्यटन के वे सभी आयाम दिखाई देते हैं जो एक पर्यटक ढूंढता है। नदी-पहाड़, गुफ़ाएं, प्राकृतिक वन, वन्य पशु पक्षी, प्राचीन स्मारक एवं इतिहास, खान पान विविधताओं से भरा हुआ है। मानसून …
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September 1, 2023
पर्यटन, लोक संस्कृति, संस्कृति
सनातन संस्कृति में देवी – देवताओं की पूजा -अर्चना का इतिहास आदि काल से ही रहा है। भारत की संस्कृति विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत वर्ष में अलग -अलग जगहों पर मंदिरों में विराजी आदि देवी शक्तियों की गाथाएं और जन श्रुतियाँ जनमानस के साथ आस्था और विश्वास …
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August 5, 2023
पर्यटन, पर्यावरण, मड़ई-मेला, संस्कृति
लोक गाँवों में बसता है। इसलिए लोक जीवन में सरसता है। निरसता उससे कोसों दूर रहती है। लोक की इस सरसता का प्रमुख कारण, प्रकृति से उसका जुड़ाव है। लोक प्रकृति की पूजा करता है। आज भी गाँवों में जल को वह चाहे नदी हो, या तालाब का, किसी झरने …
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July 27, 2023
इतिहास, पर्यटन, मड़ई-मेला, वैदिक संस्कृति, संस्कृति
मानव सभ्यता का उद्भव और संस्कृति का प्रारंभिक विकास नदी के किनारे ही हुआ है। भारत जैसे कृषि प्रधान देश में नदियों का विशेष महत्व है। भारतीय संस्कृति में ये जीवनदायिनी मां की तरह पूजनीय हैं। यहां सदियों से स्नान के समय पांच नदियों के नामों का उच्चारण तथा जल …
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