भारतीय संस्कृति में आदि काल से ही देवी देवताओं का मानव समाज में महत्त्व रहा है, भारत भूमि देवी-देवताओं तथा ऋषि मुनियों के संस्मरणों से समृद्ध है। सनातन धर्म को मानने वाले सभी समाजों एवं जातियों में मातृ शक्ति की उपासना किसी न किसी रुप में प्राचीन काल से होती आई है।
सारंगढ़ जिला मुख्यालय से महज 16 किलोमीटर की दूरी पर तथा सारंगढ़ सरायपाली मुख्य मार्ग पर ग्राम कनकबीरा स्थित है। जहां बिंझवार जनजातीय समाज की कुल देवी विंध्यवासिनी देवी का स्थान है, यहां बिंझवार समाज द्वारा मंदिर बनाया गया है। विंध्यवासिनी देवी, बिंझवार समाज की आस्था है। विंध्यवासिनी देवी, बिंझवार समाज की कुल देवी के रुप में प्रतिष्ठित हैं। यह समाज अपनी कुल देवी के प्रति समर्पित हैं और यह स्थल समाज की धार्मिक आस्था का केन्द्र है।
देवी की स्थापना के इतिहास के बारे में बिंझवार समाज के वरिष्ठ जन शिक्षाविद श्री राम लाल बरिहा का कहना है मंदिर जिस जगह में बना है उस जगह में पहले जंगल था, हमारे पूर्वज यहां आते थे और पत्थरों के बीच दीप जलाकर पूजा अर्चना करते थे। हमारे पूर्वजों का मानना है कि विंध्यवासिनी देवी हमारे बिंझवार समाज की कुल देवी है।
पूर्व प्राचार्य और मंदिर के संस्थापक राम लाल बरिहा के छोटे पुत्र आनंद बरिहा ने बताया कि पिता जी के सेवानिवृत होने के पश्चात समाज के पूजा पाठ से प्रेरित होकर समाज को एक सूत्र में बांधने के लिए इस स्थान पर मंदिर बनाने का विचार आया और समाज के लोग सहमति दिए कि अपनी कुल देवी का मंदिर बनाया जाये, तब समाज इक्कठा हुआ और विंध्यवासिनी देवी की मंदिर की नीव रखी गई।
इस प्राचीन स्थल पर मंदिर का निर्माण 2017 में प्रारंभ हुआ, जो अथक प्रयास से 8 माह 18 दिन में बनकर तैयार हुआ। त बिंझवार समाज ने 2018 में विंध्यवासिनी देवी की प्राण प्रतिष्ठा विधिवत की गई। इस मंदिर को बनाने वाले श्री रामलाल बरिहा (सालार) ने अपने समाज को जोड़ने के लिए उनकी जनजाति पर विंध्यवासिनी पुत्र बिंझवार नामक एक पुस्तक भी लिखी।
शिक्षक लक्ष्मण बरिहा ने इस मंदिर के विषय में बताते हुए कहा कि यह हमारी कुल देवी का मंदिर है, इस देवी स्थल ने हमारे समाज को एकता के सूत्र में जोड़कर रखा है। यह स्थान हमें अपनी संस्कृति, रहन सहन को बचाए रखने की प्रेरणा देता है।
स्थानीय पत्रकार रामकुमार थुरिया ने बिंझवार समाज के बारे में बताया कि बिंझवार समाज वन देवी विन्ध्यवासनी देवी का आराधक है। शिक्षिका श्रीमती पुष्पा आनंद बरिहा मंदिर की देवी की इतिहास पर बताते हुए कहती है कि विंध्यवासिनी देवी द्वापर युग की देवी है, यह हमारी आराध्य कुल देवी हैं।
यहां हर वर्ष चैत और कुंवार नवरात्रि पर आस्था और विश्वास के दीप जलाए जाते हैं, पूरे नौं दिनों तक समाज के द्वारा भंडारे का आयोजन किया जाता है। कनकबीरा सारंगढ़ से सुदूर वनांचल में है, यहां धार्मिक पर्यटन की अपार संभावनाएं है।
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