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Tag Archives: स्वतंत्रता आंदोलन

वीर बालिका मैना देवी का बलिदान

3 सितम्बर 1857 चौदह वर्षीय बालिका अंग्रेजों ने कठोर यातनाएँ देकर जिन्दा जलाया पराधीनता काल के भीषण अत्याचारों से केवल सल्तनकाल का इतिहास ही रक्त रंजित नहीं है, अंग्रेजी शासन काल में भी दर्जनों ऐसी क्रूरतम घटनाएँ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं जिन्हें पढ़कर आज भी प्रत्येक भारतीय आत्मा …

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स्वतंत्रता आंदोलन में एस. सत्यमूर्ति का योगदान

स्वतंत्रता आंदोलन में लाखो लोगों ने अपनी भागीदारी निभाई, उन्होंने अपने जीवन की परवाह नहीं की एवं स्वतंत्रता संग्राम में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। ऐसे ही एक स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एस सत्यमूर्ति थे, उनका का जन्म तमिलनाडु के तिरुचिराप्पल्ली ज़िले में पुदुकोटाई नामक स्थान पर 19 अगस्त, 1887 में …

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लंदन में अंग्रेज अधिकारी वायली को गोली मारने वाले क्रांतिकारी

17 अगस्त 1909 : सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी मदन लाल ढींगरा का बलिदान स्वत्व और स्वाभिमान रक्षा के लिये क्राँतिकारियों ने केवल भारत की धरती पर ही अंग्रेज अधिकारियों को गोली मारकर मौत की नींद नहीं सुलाया अपितु लंदन में भी क्रूर अंग्रेजों के सीने में गोली उतारी है। क्राँतिकारी मदन लाल …

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स्वतंत्रता संग्राम के अमर सेनानी : छत्तीसगढ़

स्वतंत्रता आंदोलन में छत्तीसगढ़ भी कभी पीछे नहीं रहा है। छत्तीसगढ़ के साथ ही पूरे देश के आंदोलन में इस भूमि के सिपाही सपूत सक्रिय रूप से भाग लेते रहे लेकिन उनका समुचित मूल्यांकन आज तक नहीं हो सका है। 1856-57 में सोनाखान के वीर सपूत नारायण सिंह ने अंग्रेज …

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बालकपन में फ़ाँसी चढ़ने वाले क्रांतिकारी : खुदीराम बोस

हुतात्मा खुदीराम बोस बलिदान दिवस विशेष आलेख दुनियाँ में ऐसा कोई देश नहीं जो कभी न परतंत्रता के अंधकार में डूबा न हो। उनमें अधिकांश का स्वरूप ही बदल गया। उन देशों की अपनी संस्कृति का आज कोई अता पता नहीं है। लेकिन दासत्व के लंबे अंधकार के बाद भी …

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राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिये सर्वोच्च बलिदान

23 जून 1953 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी डा श्यामा प्रसाद मुखर्जी का बलिदान: विशेष आलेख सुप्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और क्राँतिकारी विचारक डाक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का जन्म 23 जुलाई 1901 को बंगाल के अति प्रतिष्ठित परिवार में हुआ था। उनके पिता आशुतोष मुखर्जी सुप्रसिद्ध शिक्षाविद् और बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। …

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एक ही देश में दो झंडे और दो निशान स्वीकार नहीं : डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी

भारतीय राजनीति के नक्षत्र एवं राष्ट्रवादी चिंतक डॉ. श्यामाप्रसाद मुखर्जी का जन्म 6 जुलाई, 1901 को एक संभ्रांत परिवार में हुआ था। महानता के सभी गुण उन्हें विरासत में मिले थे। उनके पिता आशुतोष बाबू अपने जमाने ख्यात शिक्षाविद् थे। डॉ. मुखर्जी ने 22 वर्ष की आयु में एमए की …

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छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारंभ हुआ : विशेष आलेख

भारत के स्वतंत्रता संग्राम में छत्तीसगढ़वासियों की भूमिका को कम करके नहीं आंका जा सकता। वर्तमान छत्तीसगढ़ में स्वतंत्रता संग्राम 1857 से पूर्व प्रारम्भ हो चुका था, तत्कालीन समय में यह जमींदारी क्षेत्र था तथा कलचुरियों, मराठों एवं अंग्रेजों के अधीन रहा। कभी मराठों से स्वतंत्रता पाने के लिए यहाँ …

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जंगल सत्याग्रह 1930 की वर्षगांठ : हरेली तिहार

हरेली का त्यौहार छत्तीसगढ़ में प्राचीनकाल से धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन किसान अपने कृषि उपकरणों की पूजा के साथ देवताधामी को सुमरता है और बाल गोपाल गेड़ी चढ़कर उत्सव मनाते हैं। गांवों में इस दिन विभिन्न खेलकूदों का आयोजन किया जाता है। रोटी, पीठा, चीला के स्वाद …

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बस्तर की महान क्रांति का नायक गुंडाधुर: भूमकाल विद्रोह

रायबहादुर पंडा बैजनाथ (1903 – 1910 ई.) राज्य में अधीक्षक की हैसियत से नियुक्त हुए थे। पंडा बैजनाथ का प्रशासन निरंकुशता का द्योतक था जबकि उनके कार्य प्रगतिशील प्रतीत होते थे। उदाहरण के लिये शिक्षा के प्रसार के लिये उन्होंने उर्जा झोंक दी किंतु इसके लिये आदिवासियों को विश्वास में …

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