अरपा, लीलागर और शिवनाथ नदी के बीच में बसी है प्राचीन नगरी मल्हार। कई धर्म, संस्कृतियों की धरोहरों को समेटे हुए यह कलचुरियों का गढ़ रही है। भगवान शिव के उपासक कलचुरि नरेश ने यहां मल्लाषरि, मल्लारी शिव का मंदिर बनवाया था। मल्लासुर दैत्य का संहार करने वाले शिव का …
Read More »चैतुरगढ़ की महामाया माई
कलचुरी राजवंश की माता महिषासुरमर्दिनी चैतुरगढ़ में आज महामाया देवी के नाम से पूजनीय है। परंपरागत परिधान से मंदिर में माता अपने परंपरागत परिधान से सुसज्जित हैं, जो 12 भुजी हैं, जो सदैव वस्त्रों से ढके रहते हैं। पूर्वाभिमुख विराजी माता को सूरज की पहली किरण उनके चरण पखारने को …
Read More »शक्ति तीर्थ डोंगरगढ़ की बमलाई माता
राजनांदगांव से 36 कि॰मी॰ की दूरी पर स्थित डोंगरगढ नगरी धार्मिक विश्वास एवं श्रध्दा का प्रतीक है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर स्थित शक्तिरुपा माँ बम्लेश्वरी देवी का विख्यात मंदिर सभी श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। यहां मां बम्लेश्वरी देवी के दो विख्यात मंदिर है। डोंगरगढ की पहाड़ी पर 1600 …
Read More »महानदी तट पर स्थित चंद्रहासिनी देवी
भारत के सम्बन्ध में विद्वानों का मानना है कि सिंधु घाटी की सभ्यता के नागरिक जिन देवताओं की पूजा-अर्चना करते थे वे आगामी वैदिक सभ्यता में पशुपति और रुद्र कहलाएं तथा वे जिस मातृका की उपासना करते थे वे वैदिक सभ्यता में देवी का आरम्भिक रुप बनी। भारतीय इतिहास गवाह …
Read More »बस्तर में शक्ति उपासना की प्राचीन परंपरा
बस्तर प्राचीनकाल में दंडकारण्य कहलाता था। छत्तीसगढ़ के दक्षिण में ”बस्तर“ ऐतिहासिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण क्षेत्र रहा है। आदिम युग से अर्वाचीन काल तक बस्तर में अनेक राजवंशों का उत्थान और पतन हुआ। बस्तर के विशाल अंचल को देवी-देवताओं की धरा कहें तो कोई अतिशोक्ति नहीं हैं। बस्तर की देवियां-राज …
Read More »रहस्यमयी साधना स्थली को समेटे हुए देवरानी जेठानी मंदिर
शैव और शक्ति साधना का प्राचीनतम मंदिर है देवरानी जेठानी, जहां शैव तंत्र और शाक्त साधना का रहस्यमय स्वरूप एकाकार दिखता है। शिव की दस महाविद्या देवियों में से तारा देवी और धूमावती देवी इन मंदिरों में प्रतिष्ठापित रही हैं। मंदिर अपने आप में अदभुत, अनूठी मूर्तियों के साथ रहस्यमय …
Read More »कोरबा की सर्वमंगला माई
कोरबा में हसदेव मंदिर के दाहिने तट पर विराजित माँ सर्वमंगला देवी कोरबा जमींदार परिवार की कुलदेवी है। कोरबा जब कोरवाडीह था, तब यहाँ कोरबा जमींदार के द्वारा राजमहल और सर्वमंगला मंदिर की स्थापना सोलहवीं शताब्दी सन् 1520 ईसवी में दीवान जोगीराय (जोगीदास) जी के द्वारा करवाया गया था। पहले …
Read More »संतान सुख देने वाली देवी रमईपाट
हमारा छत्तीसगढ़, मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की ननिहाल, जो अतीत में दक्षिण कोसल के नाम से जाना जाता था। यहां भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाएं घटित हुई है। यह पुण्य धरा भगवान श्रीराम से जुड़ी अनेक घटनाओं का साक्षी रही है। कदम कदम पर बिखरी लोकगाथाओं में रामायण से …
Read More »लोक आस्था का केन्द्र : तपेश्वरी माता
दक्षिण बस्तर दन्तेवाड़ा जिले का ग्राम समलूर यद्यपि दूरस्थ वनांचल में बसा है, किन्तु लगभग एक हजार वर्ष पुराना भव्य शिव मंदिर के कारण इस गाँव की पहचान पुरातात्विक स्थल के रुप में हो चुकी है। शिव मंदिर को केन्द्र संरक्षित धरोहर घोषित किया गया है, तत्सम्बंधी सूचना पटल मंदिर …
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