विश्व में प्राचीन सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटी पर हुआ है। आरंभ में आदिम मानव के लिए स्वयं को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाना बेहद ही चुनौती पूर्ण था। आदिम मानव का निवास जंगलों में नदी-नालों, झरनों एवं झीलों के आस पास रहा करता था। उसके लिए जंगली …
Read More »प्राचीन स्थापत्य कला में हनुमान : छत्तीसगढ़
श्री हनुमान जन्मोत्सव विशेष आलेख हमारे देश में मूर्ति पूजा के रूप में महावीर हनुमान की पूजा अत्यधिक होती है क्योंकि प्रत्येक शहर, कस्बों तथा गांवों में भी हनुमान की पूजा का प्रचलन आज भी देखने को मिलता है। हनुमान त्रेतायुग में भगवान राम के परम भक्त तथा महाभारत के …
Read More »समग्र सृष्टि के रचयिता देव शिल्पी विश्वकर्मा
माघ सुदी त्रयोदशी विश्वकर्मा जयंती पर विशेष आलेख सृजन एवं निर्माण का के देवता भगवान विश्वकर्मा है, इसके साथ ॠग्वेद के मंत्र दृष्टा ॠषि भगवान विश्वकर्मा भी हैं। ऋग्वेद मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐं लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता …
Read More »दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में नृत्य एवं वाद्यों का शिल्पांकन
ऐसा कौन अभागा है, जिसे गायन, वादन, नृत्य दर्शन एवं संगीत श्रवण न रुचता होगा। प्रकृति में चहूं ओर संगीत भरा पड़ा है, कहीं शुन्यता नहीं है। इसी संगीत से मनुष्य ने भी स्वयं को जोड़ा एवं विभिन्न ध्वनियों के लिए वाद्य निर्मित किए एवं स्वयं को उसकी लय-ताल में …
Read More »शाक्त धर्म एवं महिषासुरमर्दिनी की प्रतिमाएं : छत्तीसगढ़
भारतवर्ष में मातृदेवी एवं शक्ति के रूप में देवी पूजन की परम्पराएं प्रचलित रही हैं। भारतीय संस्कृति की धार्मिक पृष्ठभूमि में शाक्त धर्म का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। सृष्टि के उद्भव से लेकर वर्तमान काल तक के संपूर्ण विकास में शक्ति पूजा का योगदान दिखाई देता है। नारी शक्ति को …
Read More »जानिये छत्तीसगढ़ के वन अभयारण्यों एवं उद्यानों को
वन्य पर्यटको एवं प्रकृति प्रेमियों के लिए छत्तीसगढ़ स्वर्ग से कम नहीं है। राज्य का लगभग 44 फ़ीसदी भू-भाग वनों से अच्छादित है। यहाँ विभिन्न तरह की वन सम्पदा के साथ जैविक विविधता भी दिखाई देती है। यहाँ भरपूर वन संपदा एवं वन्यप्राणि है। वन्य प्राणियों एवं वनों की रक्षा …
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