Home / इतिहास / मध्यकालीन इतिहास

मध्यकालीन इतिहास

तुलसी धरयो शरीर

श्रावण शुक्ल सप्तमी गोस्वामी तुलसीदास जयंती विशेष आलेख भारतीय संस्कृति में कई ऐसे संतों ने जन्म लिया जिन्होंने न केवल अपने कार्यो से हिन्दूओं को जागृत किया वरन समाज की धारा को ही नया मार्ग दिखाने का कार्य किया। भक्तिकाल ये संत आज भी जनमानस में अपना स्थान बनाये रखते …

Read More »

औरंगजेब को पराजित कर अपनी शर्तें मनवाने वाले वीर दुर्गादास राठौड़

13 अगस्त 1668 – वीर ठाकुर दुर्गादास राठौड़ जन्म दिवस आलेख निसंदेह भारत में परतंत्रता का अंधकार सबसे लंबा रहा। असाधारण दमन और अत्याचार हुये पर भारतीय मेधा ने दासत्व को कभी स्वीकार नहीं किया। भारत भूमि ने प्रत्येक कालखंड में ऐसे वीरों को जन्म दिया जिन्होंने आक्रांताओं और अनाचारियों …

Read More »

रानी रंगा देवी एवं इतिहास का सबसे बड़ा जौहर

9 जुलाई 1301 से 11 जुलाई 1301 को रणथंबोर में जौहर सवाई माधोपुर से लगभग छह मील दूर रणथम्भौर दुर्ग अरावली पर्वत श्रृंखलाओं से घिरा विकट दुर्ग है। रणथम्भौर का वास्तविक नाम रन्त:पुर है, अर्थात ‘रण की घाटी में स्थित नगर’। इस दुर्ग का निर्माण राजा सज्जन वीर सिंह नागिल …

Read More »

अकबर की सेना के छक्के छुड़ाने वाली वीरांगना : रानी दुर्गावती

रानी दुर्गावती पुण्यतिथि विशेष इतिहास में भारत भूमि पर अनेक वीरांगनाओं ने जन्म लिया तथा अपने कार्यों से इतिहास में अमर हो गई, जिन्हें हम आज भी याद करते हैं। ऐसी ही एक वीरांगना रानी दुर्गावती हैं जिन्होंने अपने राज्य की रक्षा के लिए मुगलों से युद्ध कर वीरगति को …

Read More »

जब सैकड़ों क्षत्राणियों ने अपने बच्चों के साथ किया था अग्नि प्रवेश : 6 मई सन् 1532

सल्तनत काल के इतिहास में भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ हमलावरों से अपने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिये भारतीय नारियों ने अग्नि में प्रवेश न किया हो । फिर कुछ ऐसे जौहर हैं जिनकी गाथा से आज भी रोंगटे खड़े होते हैं। ऐसा ही एक जौहर …

Read More »

बिंद्रानवागढ़ की जमींदारी

बिंद्रानवागढ जमींदारी का इतिहास शुरु होता है लांजीगढ के राजकुमार सिंघलशाह के छुरा में आकर बसने से। तत्कालीन समय में यहां भुंजिया जाति के राजा चिंडा भुंजिया का शासन था। यहां की जमींदारी मरदा जमींदारी कहलाती थी। राजकुमार सिंघलशाह चूंकि एक राजपुत्र था, उसके छुरा में आकर बसने से चिंडा …

Read More »

वासंती माटी पर खिले भारत की स्वाधीनता के पुष्प

(आजादी के अमृत महोत्सव पर विशेष आलेख) प्रसिद्ध इतिहासकार ई. एच. कार ने कहा था-“इतिहास वर्तमान काल और भूत काल के बीच एक निरंतर संवाद है। इतिहास का दोहरा काम मनुष्य को अतीत के समाज को समझने और वर्तमान समाज के अपने ज्ञान को बढ़ाने में सक्षम बनाना है।” इतिहासकार …

Read More »

याद रखनी चाहिए भारत विभाजन की त्रासदी

विभाजन विभिषिक स्मृति दिवस 14 अगस्त : विशेष आलेख देश का विभाजन एक अमानवीय त्रासदी थी जो अपने साथ भारतवर्ष का दुर्भाग्य भी लेकर आई थी। विश्व इतिहास के किसी दौर में ऐसा कोई दूसरा उदाहरण नहीं है कि आप आजादी के लिए संघर्ष करें, आंदोलन चलाएं और जब आजाद …

Read More »

​मध्यकालीन अंधकार में प्रकाश स्तंभ गुरु नानकदेव

एक राष्ट्र के रूप में भारत ने आज तक की अपनी निंरतर ऐतिहासिक यात्रा में अनेक उतार-चढ़ाव देखे हैं। इतिहास बताता है कि देश के सांस्कृतिक-आध्यात्मिक आधार के कारण किसी एक आध्यात्मिक विभूति की उपस्थिति ने समाज को पतन से उबारा है। तत्कालीन समाज में व्याप्त अज्ञानता, रूढ़ि और कर्मकांड …

Read More »

महाराणा प्रताप महान, अकबर नहीं : विश्लेषण

*फारुखअहमदखान – केवल ‘महान‘ कह देने से या लिख देने से कोई ‘महान‘ नहीं हो जाता है। ‘महान‘ अथवा ‘महानता‘ का भावार्थ, ‘उत्कृष्ट, अति उत्तम, सर्वश्रेष्ठ तथा बहुत बढ़िया/शानदार, उद्देश्यपूर्ण कर्म, जिसमें व्यक्ति विशेष, स्वयं का त्याग/बलिदान/नि:स्वार्थ भाव/सहायता या भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हो और जिसकी एक स्वर में …

Read More »