भारत में एक दौर ऐसा आया कि भगवान बुद्ध की प्रतिमाएं बहुतायत में निर्मित होने लगी। स्थानक बुद्ध से लेकर ध्यानस्थ बुद्ध की प्रतिमाएं स्थापित होने लगी। ज्ञात हो कि भारतीय शिल्पकला में हिन्दू एवं बौद्ध प्रतिमाओं में प्रमुखता से आसन एवं हस्त मुद्राएं अंकित की जाती है।
हमें प्राचीन स्थलों पर आसनस्थ बुद्ध विभिन्न मुद्राओं में दिखाई देते हैं। जिनमें प्रमुख अभय मुद्रा, ध्यान मुद्रा, धर्म चक्र मुद्रा, एवं भूमि स्पर्श मुद्रा है। इसके साथ ही बज्र मुद्रा, वितर्क मुद्रा,ज्ञान मुद्रा, करण मुद्रा तथा बुद्ध के महानिर्वाण को भी शिल्प में स्थान दिया गया है। कुछ बुद्ध प्रतिमाएं विभिन्न मुद्राओं में देखिए।
उत्खनन में वर्तमान में भी बुद्ध की प्रतिमाएं प्राप्त होती हैं, जिसमें अधिकतर भूमि स्पर्श मुद्रा में ही होती हैं। उपरोक्त प्रतिमा चित्रों से आप बुद्ध की मुद्राओं से विज्ञ हो सकते है। इस आलेख का उद्देश्य यही है।
आलेख
बहुत ही ज्ञानवर्धक आलेख सर.. बधाई 💐