सरई श्रृंगारिणी माता का मंदिर 22•9’82″उत्तरी अक्षांश और 82•32’9″ पूर्वी देशांतर पर समुद्र तल से लगभग 910 फिट की ऊँचाई पर बलौदा ब्लाक के ग्राम डोंगरी में स्थित है। सरई श्रृंगारिणी डोंगरी में सरई पेड़ में विराजमान है। अंचल के लोगों की सरई श्रृंगारिणी माता के प्रति अपार श्रद्घा और विश्वास है। अंचल के लोग देवी के चमत्कार व महिमा से अभिभूत है।
बलौदा ब्लाक के ग्राम डोंगरी में माँ सरई श्रृंगारिणी स्थापित है। यहाँ सरई के ऊंचे-ऊंचे वृक्ष है। नवरात्रि में यहाँ माता के दर्शन के लिए श्रद्घालुओं का ताँता लगा रहता है। बुजुर्गों के अनुसार आज से लगभग 200 साल पहले यह क्षेत्र पूरा जंगल था ।
ग्राम भिलाई का साहू परिवार का एक व्यक्ति इसी सरई के जंगल में पेड़ काटने आया। काफी मशक्कत कर वह सरई पेड़ काट लिया। कटे हुए पेड़ को वह बैलगाड़ी में भरकर अपने गाँव ले जाने वाला था लेकिन बैलगाड़ी का पहिया वहीं पर टूट गया।
शाम होने की वजह से वह व्यक्ति वापस अपने गाँव भिलाई आ गया । दूसरे दिन सुबह होते ही वह व्यक्ति कटे हुए सरई पेड़ को लेने जंगल गया तो देखा कि कटा हुआ सरई पेड़ पुनः खड़ा हो गया था।
वह आदमी डरा सहमा अपने गाँव पहुँचा और लोगों को आपबीती बताई। गाँव के कई लोग जंगल में आकर देखे और आश्चर्यचकित हो गए। लोगों ने माना कि यहाँ सरई पेड़ में देवी का वास है।
इसी दिन से इस स्थान को लोग सरई श्रृंगारिणी के नाम से जानने लगे। यहाँ सरई श्रृंगारिणी देवी सरई पेड़ के रूप में विराजमान है। ऐसी मान्यता है कि जो भी अपना दुख-दर्द तकलीफ लेकर दरबार में आते है। माता उनकी मानता पूरी करती है। मान्यता है कि तब से ही भिलाई गाँव में साहू परिवार के लोग सुख से नहीं रह पाते हैं। कुछ न कुछ अनिष्ठ उनके परिवार में होते रहता है।
सरई श्रृंगारिणी मंदिर में लगभग 40 वर्ष से अखण्ड धुनी एवं अखण्ड ज्योति प्रज्जवलित है। समिति के लोगों ने इस स्थान पर अन्य देवी देवताओं के मंदिर का निर्माण किया है। यह स्थान बिलासपुर से बलौदा-कोरबा मार्ग में सरई श्रृंगार नाम से जाना जाता है।
नवरात्रि में यहाँ बड़ी संख्या में ज्योति कलश प्रज्वलित होते हैं। दोनों नवरात्र में माता के दर्शन को श्रद्घालुओं की भीड़ उमड़ती है। पिछले नवरात्रि में कोरोना के कारण लोगों की भीड़ व रौनक कम थी। इस वर्ष शासन के दिशा निर्देशों का पालन करते हुए मंदिर में श्रद्धालु दर्शन करने पहुँच रहे हैं।
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