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जब तक नहीं विचार मिलेगा : सप्ताह की कविता

जब तक नहीं विचार मिलेगा।
बदतर यह संसार मिलेगा।

अफवाहों के बाजारों में,
है भारी कालाबाजारी।
भाईचारे का अभाव है,
सस्ती में तलवार दुधारी।
गोली, बम, बारूद जखीरा,
जगह-जगह अंगार मिलेगा।

जब तक नहीं विचार मिलेगा।
बदतर यह संसार मिलेगा।

शरद पूर्णिमा है महलों में,
बाहर गहन अमावस काली।
कहीं खजाना भरा हुआ है,
कहीं अन्न बिन कोठी खाली।
जला नहीं दीपक झोपड़ में,
अंधकार हर बार मिलेगा।।

जब तक नही विचार मिलेगा।।
बदतर यह संसार मिलेगा।।

किन्तु अडिग विश्वास हमारा,
देवदूत कोई आएगा।
पत्थर में भी प्राण फूँकने,
अमिय कलश वह भर लाएगा।
अंधकार को दूर भगाने,
कोई दीपक एक जलेगा।

जब तक नहीं विचार मिलेगा।
बदतर यह संसार मिलेगा।

सप्ताह के कवि

श्री चोवा राम वर्मा ‘बादल’ हथबंद, छत्तीसगढ़

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