छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से 25 किमी की दूरी पर रींवा गढ़ में एक टीले का उत्खनन हो रहा है। यहाँ उत्खनन के द्वारा इतिहास की किताब के अज्ञात पृष्ठ अनावृत हो रहे हैं। खुरपी से खुरचकर धरती की परतों के नीचे छिपा इतिहास परतों से बाहर लाया रहा है।
यह टीला मुम्बई -कोलकाता राष्ट्रीय राजमार्ग 53 के किनारे स्थित है। उत्खनन से प्राप्त वर्तुलाकार अधिष्ठान से ज्ञात हो रहा है कि यह प्राचीन बौद्ध स्तूप का अवशेष है। उत्खनन निर्देशक डॉ. अरुण कुमार शर्मा बताते हैं कि यह छत्तीसगढ़ में अब तक के उत्खनन में प्राप्त मिट्टी का पहला बौद्ध स्तूप है।
इसके पहले सिरपुर में पत्थरों से और भोंगपाल (बस्तर )में ईंटों से निर्मित स्तूप मिल चुके हैं। इस स्तूप से हमें किसी महात्मा की अस्थियाँ प्राप्त हो सकती हैं। यहाँ से प्राप्त ईंटो एवं अन्य सामग्री से अनुमान है कि यह मौर्यकालीन बौद्घ स्तूप है, जो मिट्टी का बना हुआ है।
रींवा में दूसरा उत्खनन एक विशाल तालाब के पास हो रहा है, रींवा गढ़ को लोरिक-चंदा के नायक लोरिक का नगर माना जाता है। जब हम इस स्थान पर पहुंचे तो हमें मंदिर के शीर्ष पर रींवा गढ़ – लोरिक नगर लिखा दिखाई दिया। प्रथम दृष्टया ही हमें इस स्थान पर प्राचीन इतिहास होने का संकेत मिल गया। अधिक जानकारी के लिए वीडियो पर क्लिक करें…
वीडियो के माध्यम से उत्खनित स्थान को देखना व विशेषज्ञों द्वारा दी गई जानकारी रोमांचित कर गई। उत्सुकता में बढ़ोतरी हो रही है। इतिहास के नए पन्ने खुलने को हैं। जानकारियां साझा करते रहिएगा। हार्दिक आभार