इतनी नफ़रत और कड़वाहट तौबा-तौबा
क्यों जीवन से इतनी खटपट तौबा-तौबा
दूजे को गाली देना ही दिनचर्या है
हरकत कुछ बंदों की अटपट तौबा-तौबा
जिस थाली में खाना उसमें छेद करेंगे
कुछ बंदे होते हैं संकट तौबा-तौबा
किसी भी खूँटे से बंधना हमसे न होगा
भैया तुम ही पालो झंझट तौबा-तौबा
कुछ को अपना देश नहीं, विद्वेष पियारा
गद्दारी ही उनकी चौखट तौबा-तौबा
सप्ताह के कवि