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Tag Archives: सरहुल

ग्रामीण संस्कृति का अविभाज्य अंग वनवृक्ष साल

वृक्ष हमारी संस्कृति एवं जीवन का अभिन्न अंग है, इनके बिना जीवन की कल्पना ही नहीं की जा सकती। जब हम लद्धाख के वृक्ष विहीन पर्वतों एवं भूमि को देखते हैं तो लगता है किसी दूसरे ग्रह पर पहुंच गए, जहां जीवन नहीं है। इन वृक्षों में जीवन का सार …

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छत्तीसगढ़ में लोक नाट्य की विधाएं

छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य मूलः ग्राम्य जन-जीवन और लोक कलाकारों का उत्पाद है। यह गाँवों से निकलकर नगरों और महा नगरों तक पहुँचा और ख्याति प्राप्त करते हुए एक लम्बी यात्रा की। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के भी लोकनाट्य वाचिक परंपरा के ही उद्भव हैं। वाचिक परंपरा से …

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