स्वामी विवेकानन्द ने भगिनी निवेदिता से कहा था कि ‘भविष्य की भारत-संतानों के लिए तुम एकाधार में जननी, सेविका और सखा बन जाओ।’ अपने गुरुदेव के इस निर्देश का उन्होंने अक्षरश: पालन किया था। भारत की लज्जा और गर्व निवेदिता की व्यक्तिगत लज्जा और गर्व बन गये थे। किसी भी …
Read More »समर्पण और देशभक्ति की पर्याय : भगिनी निवेदिता
“भारतवर्ष से जिन विदेशियों ने वास्तविक रूप से प्रेम किया है, उनमें निवेदिता का स्थान सर्वोपरि है।” —अवनीन्द्रनाथ ठाकुर भारत भूमि और भारतीय संस्कृति के वैभवशाली स्वरुप के आकर्षण ने सदैव ही विदेशियों को प्रभावित किया और इसी कारण कुछ विदेशियों ने कर्मभूमि मानकर भारत की सेवा में पूरा जीवन …
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