पौराणिक काळ से ही देवी देवताओ की पूजा, प्रकृति के रूप में किसी न किसी पेड पौधे , फळ फुल आदि के रूप में पुरी आस्था के साथ किया जाता है। इसी पर आधारित ग्रामीण आंचलो में भोजली बोने की परंपरा पुरे श्रद्धा के साथ किया जाता है। श्रावण मास …
Read More »छत्तीसगढ़ में मैत्री का पारंपरिक त्योहार : भोजली
प्राचीनकाल से देवी देवताओं की पूजा के साथ प्रकृति की पूजा किसी न किसी रुप में की जाती है। पेड पौधे, फल फुल आदि के रूप में पूर्ण आस्था के साथ आराधना की जाती है। इसी पर आधारित ग्रामीण आंचल में भोजली बोने की परंपरा का निर्वहन पूर्ण श्रद्धा के …
Read More »प्रकृति-प्रेम का प्रतीक : भोजली
प्रकृति ने बड़ी उदारता के साथ छत्तीसगढ़ की धरती को अपनी सौंदर्य-आभा से आलोकित किया है। जंगल-पहार अपने स्नेह सिक्त आँचल से जहाँ इस धरती को पुचकारते हैं, वहीं नदी और झरने अपने ममता के स्पर्श से दुलारते हैं। हरे-भरे खेत इसकी गौरव-गरिमा का बखान करते हैं, तो पंछी-पखेरू यहाँ …
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