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Tag Archives: डॉ विवेक तिवारी

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का दर्पण है सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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शौर्य और श्रृंगार का लोकनृत्य

कार्तिक एकादशी से छत्तीसगढ़ के गाँवों और नगरों की गलियों में उल्लास और आनंद से सराबोर राउतों की टोलियाँ अपने संग गड़वा बाजा की मनमोहक थाप पर झूमते-नाचते हुए जब निकलती हैं तब समझिये राउत समाज का देवारी पर्व प्रारंभ हो गया है। इस पर्व में राउत नाचा का आयोजन …

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शिव-पार्वती के विवाह का मंगलगान छत्तीसगढ़ी गौरा गीत

जनजातीय धार्मिक मान्यताओं में महादेव का प्रमुख स्थान है। प्रायः अधिकांश वनवासी जातियों की उत्पत्ति की मूल कथा में माता पार्वती एवं भगवान शंकर का वर्णन मिलता है। वे अपने आराध्य देव की पूजा-अर्चना अपने-अपने ढंग से करते हैं। ‘गौरा उत्सव’ गोंड जाति का एक प्रमुख पर्व है। ‘गौरा’ का …

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नारी मनोव्यथा की अभिव्यक्ति सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक वैभव : भोजली गीत

लोक गीतों का साहित्य एवं अनुसंधान दोनों दृष्टियों से महत्व है। छत्तीसगढ़ अंचल ऐसे लोक गीतों से भरे-पूरे हैं, ग्राम्य एवं आदिम दोनों संस्कृतियों का घर है छत्तीसगढ़। गीत और नृत्य जहां एक ओर हमारे लिए मनोरंजन के साधन हैं, वहीं दूसरी ओर वे कला के विशिष्ट अवयव बन जाते …

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छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक वैभव : बांसगीत

छत्तीसगढ़ में निवासरत राउत जाति जोकि अपने को यदुवंशी मानते हैं तथा भगवान श्रीकृष्ण को अपना पूर्वज मानकर उनकी पूजा करते हैं साथ ही उनकी बाँसुरी के प्रति अटूट श्रद्धा रखते हैं। इनके प्रिय गीत बाँस गीत के गायन के साथ एक लगभग दो हाथ लम्बी मोटे बाँस की बनाई …

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