*फारुखअहमदखान – केवल ‘महान‘ कह देने से या लिख देने से कोई ‘महान‘ नहीं हो जाता है। ‘महान‘ अथवा ‘महानता‘ का भावार्थ, ‘उत्कृष्ट, अति उत्तम, सर्वश्रेष्ठ तथा बहुत बढ़िया/शानदार, उद्देश्यपूर्ण कर्म, जिसमें व्यक्ति विशेष, स्वयं का त्याग/बलिदान/नि:स्वार्थ भाव/सहायता या भागीदारी प्रत्यक्ष रूप से सम्मिलित हो और जिसकी एक स्वर में …
Read More »मध्ययुगीन भारतीय भक्ति परम्परा की सिरमौर मीरा बाई
मध्ययुगीन भक्ति परम्परा की सिरमौर मीरा बाई उस युग की एकमात्र महिला भक्त संत है जिन्होंने सगुण भक्ति के कृष्णोपासक के रूप में हिंदी साहित्य में अपनी अमिट छाप ही नही छोड़ी वरन उस युग के समाज पर प्रश्न उठाकर समाज की दिशा व दशा निर्धारित करने का बीड़ा भी …
Read More »