आस्था

श्रावण मास का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्व

हिन्दू पंचांग में काल गणना एवं बारह मासों की पृष्ठभूमि वैज्ञानिकता पर आधारित है। जिसमें श्रावण या सावन मास पांचवे स्थान पर है। अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार जुलाई-अगस्त माह का समय श्रावण मास या सावन का होता है। यह मास जल के लिए जाना जाता है. साथ ही यह सृष्टि …

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सब धरती कागद करूँ , लेखनी सब बनराय : गुरु पूर्णिमा विशेष

“गु अँधियारी जानिये, रु कहिये परकाश। मिटि अज्ञाने ज्ञान दे, गुरु नाम है तास।” कबीरदास ने गुरु के अर्थ और उनके बारे में अंनत लिखा है । यहाँ तक की सभी महापुरुषों ने गुरु को दुर्लभ मनुष्य जीवन की अत्यंत अनिवार्य कड़ी बताया है। कबीर कहते है-“गुरु गोविंद दाऊ खड़े …

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ईश्वर का प्यारा छल: एक लघुकथा

मैंने एक ऐसी घटना के बारे में सुना है जब ईश्वर ने अपनी संतानों यानि मानव जाति के साथ छल किया। यह कथा मुझे मेरी दादीमाँ ने मेरे बचपन में सुनाई थी। मेरी दादीमाँ जिन्हे बचपन में मैं बहुत प्रेम करता था और आज भी उनको, उनकी स्मृति को उतना …

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रामचरित मानस में वर्णित ॠषि – मुनि एवं उनके आश्रम

भारत सदैव से ऋषि मुनियों की तपो भूमि रहा है, उनके द्वारा विभिन्न ग्रंथों की रचना की गई। उन्होंने ही हिमालय के प्रथम अक्षर से हि एवं इंदु को मिला कर भारत को हिंदुस्तान नाम दिया। हिन्दू धर्म ग्रंथों के दो भाग श्रुति और स्मृति हैं। श्रुति सबसे बड़ा ग्रन्थ …

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सुख – समृद्धि, उर्वरता, और सौभाग्य की अधिष्ठात्री देवी : दशम महाविद्या माँ कमला

(गुप्त नवरात्र के दशम महाविद्या माँ कमला देवी पर सादर समर्पित) माँ कमला देवी दस महाविद्याओं में से अंतिम हैं। देवी कमला को कमलात्मिका के नाम से भी जाना जाता है और वे समृद्धि की देवी हैं। धन और सौंदर्य की देवी के रूप में, उनकी पूजा उनकी शक्ति के …

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“अपकारी शक्तियों की विनाशक : विधवाओं की आराध्य महाविद्या माँ धूमावती”

माँ धूमावती सनातन धर्म में सातवीं महासिद्धि (महाविद्या) के रुप में शिरोधार्य हैं। “ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहा” माँ धूमावती का बीज मंत्र है। माँ सभी अपकारी तंत्रों मंत्रों और शक्तियों की विनाशक, मानव जाति के लिए सर्वाधिक कल्याण कारी और अपराजेय बनाने वाली देवी हैं। इनके दर्शन ही …

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जनजातीय समुदाय में श्री जगन्नाथ धाम का माहात्म्य

जनजातीय समुदाय में श्री जगन्नाथ धाम का माहात्म्यजगन्नाथ मंदिर विष्णु के 8 वें अवतार श्रीकृष्ण को समर्पित है। पुराणों में इसे धरती का वैकुंठ कहा गया है। यह भगवान विष्णु के चार धामों में से एक है। इसे श्रीक्षेत्र, श्रीपुरुषोत्तम क्षेत्र, शाक क्षेत्र, नीलांचल, नीलगिरि और श्री जगन्नाथ पुरी भी …

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छत्तीसगढ़ अंचल का प्रमुख पर्व रथयात्रा

छत्तीसगढ़ में भगवान जगन्नाथ का प्रभाव सदियों से रहा है, यह प्रभाव इतना है कि छत्तीसगढ़ के प्रयाग एवं त्रिवेणी तीर्थ राजिम की दर्शन यात्रा बिना जगन्नाथ पुरी तीर्थ की यात्रा अधूरी मानी जाती है। मान्यतानुसार जगन्नाथ पुरी की यात्रा के पश्चात राजिम तीर्थ की यात्रा करना आवश्यक समझा जाता …

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चार दाग से सतगुरु न्यारा, अजरो अमर शरीर : कबीर जयंती विशेष

कबीर पंथ के चौदहवे आचार्य पंथ श्री गृन्धमुनिनाम साहब ने अपने ग्रंथ ‘सद्गुरु कबीर ज्ञान पयोनिधि’ की प्रस्तावना में लिखा है,- “संसार के लोग राख के ढेर पर ही पैर रखकर चलते हैं- जलती आग पर नहीं, किन्तु जो इसके ठीक विपरीत होते हैं, आग पर चलकर अग्नि परीक्षा देते …

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प्राचीन भारतीय योग विज्ञान सर्व काल में उपयोगी

युञ्ज्यते असौ योग:, योग शब्द संस्कृत के युञ्ज धातु से बना है जिसका अर्थ है जुड़ना, मिलना या एकजुट होना। योग, विश्व को प्राचीन भारतीय परंपरा एवं संस्कृति की अनुपम देन है। योग द्वारा मनुष्य अपने शरीर एवं मन-मस्तिष्क को आत्मबल प्रदान कर प्रकृति के साथ सामंजस्य बनाता है। योग सम्पूर्ण …

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