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सप्ताह की कविता

इस विभाग में सम सामयिक विषयों पर प्रति सप्ताह कविताओं का प्रकाशन होगा

ईश्वर का प्यारा छल: एक लघुकथा

मैंने एक ऐसी घटना के बारे में सुना है जब ईश्वर ने अपनी संतानों यानि मानव जाति के साथ छल किया। यह कथा मुझे मेरी दादीमाँ ने मेरे बचपन में सुनाई थी। मेरी दादीमाँ जिन्हे बचपन में मैं बहुत प्रेम करता था और आज भी उनको, उनकी स्मृति को उतना …

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नया सत्र शिक्षण शिक्षा का…

नया सत्र शिक्षण शिक्षा का । ज्ञान, ध्यान और दीक्षा का ।। अबोध, अज्ञान और चंचल मन । गीली मिट्टी सा कोमल तन ।। शीतल शांत संस्कारी आंगन । विद्यालय हो बाल मन दर्पण ।। गुरुओं की प्रेम की भाषा । बाल मन में हो अभिलाषा ।। मिले उन्हें ऐसा …

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छत्तीसगढ़ी कविताओं में मद्य-निषेध

शराब, मय, मयकदा, रिन्द, जाम, पैमाना, सुराही, साकी आदि विषय-वस्तु पर हजारों गजलें बनी, फिल्मों के गीत बने, कव्वालियाँ बनी। बच्चन ने अपनी मधुशाला में इस विषय-वस्तु में जीवन-दर्शन दिखाया। सभी संत, महात्माओं, ज्ञानियों और विचारकों ने शराब को सामाजिक बुराई ही बताया है। छत्तीसगढ़ी कविताओं में मदिरा का गुणगान …

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अर्जुन तुम घबराना मत..…

अर्जुन तुम घबराना मत , इनके झाँसे में आना मत … बाक़ी है सारा धर्म युद्ध , अंतर्मुखी निष्क्रिय क्रुद्ध , अवसाद मुक्त संशय निरुद्ध , ये रक्त देख शरमाना मत , अर्जुन तुम घबराना मत ।। १॥ द्रुपदपुत्री का चीर हरण , प्रसुप्त हिंदू का वीर हरण , शिवप्रसाद …

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कैसा कलयुग आया

भिखारी छंद में एक भिखारी की याचना कैसा कलयुग आया, घड़ा पाप का भरता। धर्म मर्म बिन समझे, मानुष लड़ता मरता।। लगता भगवन तेरी, माया ने भरमाया। नासमझों ने तेरे , रूपों को ठुकराया।। कल तक वे करते थे, हे प्रभु पूजा तेरी। सहसा कुछ लोगों ने, झट इनकी मति …

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बेटी की पीड़ा

हाय विधाता इस जगती में, तुमने अधम बनाये क्यों?नरभक्षी दुष्टों के अंतस, कुत्सित काम जगाये क्यों ? उन अंधों के तो नजरों में, केवल भोग्या नारी है।उन मूर्खों को कौन बताये,बेटी सबसे न्यारी है।। नारी के ही किसी उदर से, जन्म उन्होंने पाया है ।और कलंकित कर नारी को, माँ …

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मुख से राम तू बोल के देख

भीतर अपने टटोल के देख।मुख से राम तू बोल के देख। स्पष्ट नजर आयेगी दुनिया,अंतस द्वार तू खोल के देख। राम नाम का ले हाथ तराजू,खुद को ही तू तोल के देख। है कीमत तेरा कितना प्यारे,जा बाजार तू मोल के देख। कितना मीठा कड़ुवा है तू,ले पानी खुद घोल …

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हम सबका अभिमान है हिन्दी

हम सबका अभिमान है हिन्दी, हम सब का सम्मान है हिन्दी॥ उत्तर-दक्षिण, पूरब-पश्चिम तक, फुलवारी सी सजती है हिन्दीशिलालेखों एवं प्राच्य अभिलेखों में, मेंहदी सी रचती है हिन्दीहम सबका अभिमान है हिन्दी, हम सब का सम्मान है हिन्दी॥ मातृभाषा व राष्ट्रभाषा के पद पर, सदैव शोभित हमारी हिन्दी संस्कृत, पालि, …

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जब तक नहीं विचार मिलेगा : सप्ताह की कविता

जब तक नहीं विचार मिलेगा।बदतर यह संसार मिलेगा। अफवाहों के बाजारों में,है भारी कालाबाजारी।भाईचारे का अभाव है,सस्ती में तलवार दुधारी।गोली, बम, बारूद जखीरा,जगह-जगह अंगार मिलेगा। जब तक नहीं विचार मिलेगा।बदतर यह संसार मिलेगा। शरद पूर्णिमा है महलों में,बाहर गहन अमावस काली।कहीं खजाना भरा हुआ है,कहीं अन्न बिन कोठी खाली।जला नहीं …

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शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा

जीवनदात्री पर लोगों को, घोर जुल्म करते देखा है ।शोषित नदियों की आँखों से, अश्रुधार झरते देखा है । बड़े-बड़े बाँधों की बेड़ी, बँधी पाँव में सरिताओं के। ढोने को कचरे की ढेरी , सिर लादी नगरों- गाँवों के। रोग प्रदूषण का है जकड़ा, तिल-तिल कर मरते देखा है। शोषित …

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