वैदिक कालीन मानव का जीवन सोलह संस्कारों में विभक्त था एवं उसी के अनुसार उनके कार्य और व्यवहार थे। परन्तु जनजातीय समुदाय में संस्कार तो होते हैं पर सोलह संस्कारों जैसी कोई सामाजिक मान्यता नहीं है। जनजातीय समाज मुख्य रुप से जन्म, नामकरण, विवाह और मृत्यु संस्कार को मानता है। …
Read More »क्या बस्तर की वनवासी संस्कृति में पुनर्जन्म को मान्यता है?
बस्तर के वनवासियों की पहचान उनकी अद्भुत अलौकिक संस्कृति और मान्य परम्परायें हैं। जो पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तान्तरित होकर यहाँ तक पहुँची है। भारतीय दर्शन की तरह आदिवासी समाज की भी मान्यता है कि पुनर्जन्म होता है। मृत्यु, सत्य और अटल है, जो जन्म लेता है उसकी मृत्यु होती है। …
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