27अप्रेल नारायण लाल परमार जी की पुण्यतिथि पर विशेष आलेख अपने भीतर एवं निहायती देहाती किस्म का बज्रमूर्ख बैठा हुआ है, जो हर किसी से अपनत्व चाहता है, जो विशुद्ध घरू वातावरण में साहित्य को जीना चाहता है, जो कभी साहित्य में रचनाकार को ढूंढता है, तो कभी उसके व्यक्तित्व …
Read More »बहुआयामी जीवन संदर्भों के रचनाकार: नारायण लाल परमार
01 जनवरी, परमार जी के जन्मदिन पर केन्द्रित लेख कवि एक शब्द जरूर है, किन्तु कवि होने का अर्थ हर युग में एक नहीं रहा है। यह केवल कालगत सत्य नहीं है। एक ही समय में भी, विभिन्न परिस्थितियों वाले देशों में कवि होने का अर्थ बदल जाता है। कभी-कभी …
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