भारत का हृदय प्रांत छत्तीसगढ़ एक उत्सव प्रिय राज्य होने के साथ ही लोककलाओं का कुबेर भी है।इसके अधिकांश हिस्से में ग्रामीण आदिवासी निवास करते हैं।लगभग वर्ष भर यहां विविध पर्वों और उत्सवों का आयोजन होता रहता है। प्राचीन काल से ऐसे उत्सवों पर उल्लास की अभिव्यक्ति छत्तीसगढ़ के कलाकार …
Read More »छत्तीसगढ़ी लोक संगीत के पर्याय खुमानलाल साव
बंगाल ने रवींद्र-संगीत को मान्यता प्रदान कर उसे अपनी पहचान बना ली। रवींद्र-संगीत को स्थापित कर दिया। इसी तरह से असम ने भूपेन हजारिका को अपनी पहचान बना लिया किन्तु छत्तीसगढ़ ने खुमान-संगीत को अपनी पहचान बनाने के लिए मान्यता प्रदान नहीं की है और स्थापित भी नहीं किया है। …
Read More »नाचा : छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य
छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास की पृष्ठ भूमि मुख्यतः यहाँ का ग्रामीण जनजीवन है ।यहाँ की ग्रामीण संस्कृति में लोकनाटकों का प्रारंभ से ही बड़ा महत्व रहा है । छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक सौम्यता के दर्शन यहाँ के देहातों की नाट्य मण्डलियों के सीधे -सादे ,आडम्बरहीन परन्तु रोचक कार्यक्रमों में होते हैं। …
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