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संस्कृत ग्रंथ ‘रामायण’ का तमिल में अनुवाद : चक्रवर्ती राजगोपालाचारी

चक्रवर्ती राजगोपालाचारी का जन्म दिसम्बर माह की दस तारीख को 1878 में मद्रास के थोरपल्ली ग्राम में हुआ था। आप राजनेता, वकील, लेखक, स्वतंत्रता सेनानी, भारत के अंतिम गवर्नर जनरल होने के साथ दार्शनिक भी थे। राजगोपालचारी को कांग्रेस के जनरल सेक्रेटरी के रूप में भी चुना गया था। अंतिम …

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युद्ध के मैदान से आया जीवन दर्शन : गीता जयंती विशेष

आज महत्वपूर्ण तिथि है, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी का बहुत बड़ा महत्व है, द्वापर युग में इसी दिन भगवान कृष्ण ने अर्जुन को भगवद् गीता का उपदेश दिया था। इसलिए यह तिथि गीता जयंती के नाम से प्रसिद्ध है और यह तिथि भगवत् गीता के अवतरण दिवस के रुप में मनाई …

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व्यक्ति स्वतंत्रता एवं व्यक्ति विकास के पक्षधर दलितों के मसीहा : डॉ बाबा साहेब आम्बेडकर

स्वतंत्रता पूर्व के कालखंड में महात्मा गांधी एवं डॉ बाबा साहेब अम्बेडकर का प्रभावशाली व्यक्तित्व राजनीतिक शक्तियों तथा समाज सुधार का प्रतिबिंब था। दोनों ही नेतृत्व उच्च शिक्षित एवं अपनी राजनैतिक सामाजिक प्रतिबद्धता के साथ समाज के दलितो एवं वंचितों के सर्वांगीण विकास एवं उन्नति के लिए जीवनपर्यंत संघर्षरत रहे। …

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कलचुरीकालीन छत्तीसगढ़ का एक गढ़ : मोंहदीगढ़

विद्वानों का मत है कि मध्यकाल में कलचुरीकालीन छत्तीसगढ़ों को लेकर छत्तीसगढ़ का नामकरण हुआ। ये गढ़ कलचुरी शासन काल में प्रशासन की महत्वपूर्ण इकाई थे। कालांतर में कलचुरी दो शाखाओं में विभक्त हुए, शिवनाथ नदी के उत्तर में रतनपुर शाखा एवं दक्षिण में रायपुर शाखा का निर्माण हुआ। मोंहदीगढ़ …

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सभ्यता एवं लोक संस्कृति संवाहक चित्रोत्पला गंगा महानदी

नदियाँ हमारी धरती को प्रकृति की सबसे बड़ी सौगात हैं। जरा सोचिए! एक नदी के कितने नाम हो सकते हैं? छत्तीसगढ़ और ओड़िशा की जीवन रेखा 885 किलोमीटर की महानदी के भी कई नाम हैं। इसकी महिमा अपरम्पार है। इसके किनारों पर इसका उद्गम वह नहीं है, जिसे आम तौर …

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बस्तर की जनजातियों में संस्कार

बस्तर सम्भाग में आदिवासियों की विभिन्न प्रकार की प्रजातियाँ निवास करती हैं जिनमें  मुरिया, माड़िया, अबूझमाड़िया, दंडामी माड़िया, परजा, धुरवा इसी तरह गदबा, मुंडा, हल्बा और भतरा आदि प्रमुख जनजातियाँ प्रमुख हैं। इन जनजातियों की बोली-भाषा, रहन-सहन आदि में काफी समानता है। इन्हें केवल अध्ययन की दृष्टि से अलग किया …

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दक्षिण कोसल का पारम्परिक भित्ति चित्र सुलो कुठी

मानव मन की अभिव्यक्ति का एक प्राचीन माध्यम भित्ति चित्र हैं, जो आदि मानव की गुफ़ा कंदराओं से लेकर वर्तमान में गांव की भित्तियों में पाये जाते हैं। इन भित्ति चित्रों में तत्कालीन मानव की दैनिक चर्या एवं सामाजिक अवस्था का चित्रण दिखाई देता है। वर्तमान में भित्ति में देवी-देवताओं …

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सनातन धर्म संत समाज के संस्थापक श्री गहिरा गुरु जी : पुण्यतिथि विशेष

मनुष्य में जन कल्याण की भावना तो जन्म के पश्चात संस्कारों के साथ ही पल्लवित एवं पुष्पित होती है, जब मनुष्य आत्म कल्याण के साथ जग कल्याण के विषय में अग्रसर होता है तो तब वह संत कहलाता है। उसके हृदय में समस्त समष्टि के लिए कल्याण की भावना होती …

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सुअरलोट के शैलचित्र : क्या सीता हरण यहीं हुआ था?

छत्तीसगढ़ राज्य अपनी पुरातात्विक सम्पदाओं के लिए गर्व कर सकता है। छत्तीसगढ़ राज्य में ऐसा कोई भी स्थल नहीं है, जहाँ पुरासम्पदा न हो। जैसे-जैसे इनकी खोज आगे बढ़ती जा रही है, वैसे-वैसे ही नये-नये तथ्य प्रकाश में आ रहे हैं। यहाँ सभ्यता के विकास से पूर्व की भी गाथाएँ …

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छत्तीसगढ़ में शाक्त-परम्परा

छत्तीसगढ़ में धर्म और दर्शन की विविध परम्पराओं और पद्धतियों को प्रश्रय मिला जिसमें शाक्त परम्परा सर्वप्रमुख है जो शैव परम्परा के साथ ही अनुस्यूत है जिसके प्रमाण यहां की मृण्यमयी मूर्तिकला, शिल्प, साहित्य, संस्कृति और जीवन शैली में सहज ही देखे जा सकते हैं। सिरपुर उत्खनन से प्राप्त 7 …

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