2 सितंबर 2000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल का निर्वाण दिवस श्रीकृष्ण सरल की कविता ग्यारहवीं की हिन्दी पाठ्य पुस्तक में थी, हम उसे पढ़ते थे। 1983 में एक दिन श्रीकृष्ण सरल जी स्वयं मेरे स्कूल में पधारे। क्लास में आकर उन्होंने “अमर शहीदों का चारण” नामक कविता …
Read More »अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता – पुस्तक चर्चा
अपने शीर्षक “अमृत काल में स्वामी विवेकानंद की प्रासंगिकता” के अनुसार यह पुस्तक स्वामी विवेकानंद के कार्य और विचारों पर आधारित है, जो आधुनिक भारत के लिए अमृत कल में मार्गदर्शन का कार्य करेगी। इस पुस्तक के माध्यम से जहाँ एक ओर अपने पाठकों को “स्वामी विवेकानंद के जागृत भारत …
Read More »अंगारों के हाथ न सौंपो फूलों के संसार को : स्व: हरि ठाकुर
16 अगस्त 1927 हरि ठाकुर जयंती विशेष आलेख हरि ठाकुर जी हिन्दी और छत्तीसगढ़ी के श्रेष्ठ कवि तो वह थे ही, छत्तीसगढ़ के पौराणिक, सांस्कृतिक, सामाजिक, साहित्यिक और राजनीतिक इतिहास के भी वह गहन अध्येता और लेखक थे। राज्य निर्माण आंदोलन के लिए सर्वदलीय मंच के संयोजक के रूप में …
Read More »तत्कालीन कहानियों में विभाजन की त्रासदी
वर्तमान पीढ़ी को स्वतंत्रता मायने ही नहीं जानती, क्योकि इनका जन्म स्वतंत्र भारत में हुआ है। इस स्वतंत्रता को प्राप्त करने में पूर्व की पीढ़ी ने कितने कष्ट सहे और क्या-क्या अत्याचार झेले, इसके विषय में वर्तमान पीढ़ी को जानना आवश्यक है तभी स्वतंत्रता का सही मुल्यांकन कर उसकी रक्षा …
Read More »राष्ट्रगीत वन्दे मातरम् रचने वाले कालजयी रचनाकार
सुप्रसिद्ध साहित्यकार और पत्रकार बंकिम चंद्र चटोपाध्याय का जन्म दिवस विशेष देश की स्वतंत्रता के लिये हुये असंख्य बलिदानों की श्रृंखला के पीछे असंख्य प्रेरणादायक महाविभूति भी रहे हैं। जिनके आव्हान से समाज जाग्रत हुआ और संघर्ष के लिये सामने आया। ऐसे ही महान विभूति हैं बंकिम चंद्र चटोपाध्याय। जिनका …
Read More »जन जागरण का काव्य : संदर्भ छत्तीसगढ़
साहित्य समाज का पहरुआ होता है। चाहे वह गीत, कविता, कहानी, निबंध, नाटक या किसी अन्य साहित्यिक विधा में क्यों न हो। वह तो युगबोध का प्रतीक होता है। कवि वर्तमान को गाता है लेकिन वह भविष्य का दृष्टा होता है। साहित्य जो भी कहता है निरपेक्ष भाव से कहता …
Read More »छत्तीसगढ़ी कविताओं में मद्य-निषेध
शराब, मय, मयकदा, रिन्द, जाम, पैमाना, सुराही, साकी आदि विषय-वस्तु पर हजारों गजलें बनी, फिल्मों के गीत बने, कव्वालियाँ बनी। बच्चन ने अपनी मधुशाला में इस विषय-वस्तु में जीवन-दर्शन दिखाया। सभी संत, महात्माओं, ज्ञानियों और विचारकों ने शराब को सामाजिक बुराई ही बताया है। छत्तीसगढ़ी कविताओं में मदिरा का गुणगान …
Read More »छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता के युग प्रवर्तक साहित्यकार पण्डित माधवराव सप्रे
सच्चाई की धार पर चलने वाली पत्रकारिता का रास्ता हमेशा से ही काफी चुनौतीपूर्ण रहा है। देश और समाज की भलाई के लिए उच्च आदर्शो के साथ किसी पत्र – पत्रिका के सम्पादन और प्रकाशन में कितनी दिक्कतें आती हैं, इसे पण्डित माधवराव सप्रे जैसे मनीषी पत्रकार की संघर्षपूर्ण जीवन …
Read More »जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम
उठो पुनः हुंकार भरो करना है प्रभु का काम, जब तक समर शेष है साथी मत लेना विश्राम॥ सदियों के संघर्षों बलिदानों से तृषा छँटी है, अरुणाई की आहट है पौ देखो वहाँ फ़टी है। भारत माता पुनः हमारा करती है आह्वान। जब तक समर शेष है साथी मत लेना …
Read More »साहित्यलोक में व्याप्त वसंत : विशेष आलेख
वसंत ॠतु आई है, वसंत ॠतु के आगमन की प्रतीक्षा हर कोई करता है। नये पल्लव लिए वन, प्रकृति, मानव अपने पलक पांवड़े बिछाए उसका स्वागत करते दिखते हैं। भास्कर की किरणें उत्तरायण हो जाती हैं और दक्षिण दिशा से मलयाचल वायु प्रवाहित हो उठती है। वसुंधरा हरे परिधान धारण …
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