छत्तीसगढ की दुनिया में अपनी अलग ही सांस्कृतिक पहचान है। प्राचीन सभ्यताओं को अपने आंचल में समेटे इस अंचल में विभिन्न प्रकार के कृषि से जुड़े त्यौहार मनाए जाते हैं। जिन्हे स्थानीय बोली में “तिहार” संबोधित किया जाता है। सवनाही, हरेली त्यौहार के समय धान की बुआई होती है, त्यौहार …
Read More »ऐसा कंद जो लोक संस्कृति का अभिन्न अंग है
दीपावली का त्यौहार समीप आते ही छत्तीसगढ़ में लोग बाड़ी-बखरी की भूमि में दबे जिमीकंद की खुदाई शुरु कर देते हैं। किलो दो किलो जिमीकंद तो मिल ही जाता है। वैसे भी वनांचल होने के कारण छत्तीसगढ़ में बहुतायत में पाया जाता है। धरती से उपजने वाला यह कंद हमारी …
Read More »आजादी के बाद राजा के निजी धन से निर्मित राजा तालाब
कहानी वर्तमान कांकेर जिले के हल्बा गाँव के टिकरापारा की है, यह एक छोटा सा गांव हैं, जहाँ के एक तालाब की चर्चा करना उपयुक्त समझता हूँ, बात 1956-57 की है, बस्तर नरेश प्रवीण चंद भंजदेव टिकरापारा पहुंचे, उनके स्वागत में सारा गाँव इकट्ठा हुआ। गाँव की चौपाल में उनके …
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