सनातन धर्म में त्रिदेववाद और पंचायतन पूजा के साथ – साथ अष्टदिक्पालों की उपासना और पूजा पाठ का विशेष महत्व रहा है। दिकपालों को पृथ्वी का संरंक्षक कहा गया है। इन्हें लोकपाल भी कहा जाता है। साधारणतया भूतल और आकाश की दिशाओं को छोड़कर इस पृथ्वी पर आठ दिशाएं मानी …
Read More »मंदिरों की नगरी : प्रतापपुर
छत्तीसगढ़ के उत्तरांचल में जनजातीय बहुल संभाग सरगुजा है, यहाँ की प्राकृतिक सौम्यता, हरियाली, ऐतिहासिक व पुरातात्विक स्थलें, लोकजीवन की झांकी, सांस्कृतिक परंपराएं, रीति-रिवाज, पर्वत, पठार, नदियाँ कलात्मक आकर्षण बरबस ही मन को मोह लेते हैं। सरगुजा अंचल के नवीन उत्खनन ने तो भारत के इतिहास में एक नया स्वर्णिम …
Read More »मावली माता सिंगारपुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
मंदिरों की नगरी सिंगारपुर जहाँ विराजी हैं मावली माता। कई शताब्दी पूर्व बंजारों की अधिष्ठात्री देवी अब समूचे अंचल की आराध्या हो गई हैं। भक्तों की आस्था के साथ लोक विश्वास में मावली माता सभी मनोरथ को पूर्ण करने वाली हैं। सिंगारपुर में मंदिर के समीप कई समाजों के मंदिर …
Read More »बिलाई माता : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
बिलाई माता के नाम से सुविख्यात विन्ध्यवासिनी देवी अर्थात महिषासुर मर्दिनी ही धरमतराई (धमतरी) की उपास्य देवी है प्रस्तर प्रतिमा के रूप में जिसका प्रादुर्भाव हैहयवंशी राज्य के अधीनस्थ किसी गांगवंशीय मांडलिक के शासनकाल का बतलाया जाता है। तब से आज तक यह मंदिर इस क्षेत्र की जनता के लिए …
Read More »महामाया माई अम्बिकापुर : छत्तीसगढ़ नवरात्रि विशेष
अम्बिकापुर की महामाया किस काल की हैं प्रामाणिक जानकारी उपलब्ध नहीं है पर यह तो तय है कि महामाया, छत्तीसगढ़ की सर्वाधिक प्राचीन देवियों में से एक हैं। यह क्षेत्र सधन वनों से आच्छादित था। पूरे क्षेत्र में गोंड़, कोरवा, चेरवा आदि जनजातियां निवास करती थीं। जनजातियों में प्रतीकात्मक देवी-देवताओं …
Read More »विष्णु के आठवें अवतार : योगेश्वर श्री कृष्ण
भगवान कृष्ण का जन्मदिन, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, जुलाई या अगस्त के महीने में पूरे भारत में बड़ी श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है। इसे जन्माष्टमी या गोकुलाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है, जिसमें हिंदू लोग श्रीकृष्ण के जन्म को विष्णु के आठवें अवतार के रूप में …
Read More »शिव द्वार का प्रहरी कीर्तिमुख
मंदिरों में एक ऐसा मुख दिखाई देता है, जो वहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में कौतुहल जगाता है, वे उसे देखकर आगे बढ़ जाते हैं और मन में प्रश्न रहता है कि ऐसी भयानक आकृति यहाँ क्यों स्थापित की गई? फ़िर सोचते हैं कि शिवालयों में भयावह आकृति …
Read More »सखि वसन्त आया
वसंतोन्माद में कोई वासंती गीत गा उठता है तो नगाड़ो की थाप के साथ अनहद बाजे बजने लगते हैं। जिस तरह विजयादशमी का त्यौहार सैनिकों के लिए उत्साह लेकर आता है और वे अपने आयुधों की पूजा करते हैं उसी तरह वसंत पंचमी का यह दिन विद्वानों के लिए अपनी पुस्तकों एवं व्यास पूर्णिमा का दिन होता है।
Read More »बस्तर में शाक्त आस्था का केंद्र : माँ दंतेश्वरी
आज के समय में दंतेवाड़ा जिला मुख्यालय हो गया है। यहाँ दंतेश्वरी मंदिर की अवस्थिति के कारण इसे एक धार्मिक पर्यटन नगर होने का गौरव प्राप्त है। राजा की कुल अधिष्टात्री देवी का क्षेत्र यहाँ होने के होने के कारण दंतेवाड़ा को रियासत काल में भी विशेष दर्जा प्राप्त था …
Read More »बस्तर का तीजा व्रत एवं तीजा जगार
छत्तीसगढ़ अंचल के अन्य त्यौहारों में तीजा व्रत भी प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भासो मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को प्रदेश के सरगुजा क्षेत्र से लेकर बस्तर तक मनाया जाता है। पोला तिहार से इस पर्व की तैयारी प्रारंभ हो जाती है। विवाहित बेटियाँ-बहने अपने भाई के आने …
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