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पौराणिक संस्कृति

सरगुजा अंचल में गंगा दशहरा

भारत धार्मिक आस्था वाला देश है। यहां के रहवासी पेड़-पौधों, पत्थरों और धातुओें में ही नहीं बल्कि नदियों में भी देवी देवताओं के दर्शन करते हैं। भारत में गंगा, गोदावरी, यमुना, सरस्वती, कावेरी, ब्रम्हपुत्र आदि महत्वपूर्ण नदियाँ हैं, जिन्हें प्राणदायनी माना जाता है। भारतीय जीवन और संस्कृति में नदियों का …

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सकल सृष्टि की जनक माँ : मातृ दिवस विशेष

माँ एक ऐसा शब्द है जिसे सुनकर मन आनन्द से भर कर हिलोर लेने लगता है। माता, जननी, मम्मी, आई, अम्माँ इत्यादि बहुत से नामों से माँ को पुकारते हैं भाषा चाहे कोई भी हो पर माँ शब्द के उच्चारण मात्र से उसके आँचल की शीतल छाया एवं प्यार भरी …

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पंडवानी के सूत्रधार श्रीकृष्ण

भारतीय लोक जीवन सदैव से ईश्वर और धर्म के प्रति आस्थावान रहा है। निराभिमान और निश्च्छल जीवन लोक की विशेषता है। फलस्वरूप उसका जीवन स्तर सीधा-सादा और निस्पृह होता है। उसकी निस्पृता और उसकी सादगी लोक धर्म की विशिष्टता है। धर्म और ईश्वर के प्रति अनुरक्ति और उसकी भक्ति लोक …

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कलचुरी शासकों की कुलदेवी महामाया माई रायपुर : नवरात्रि विशेष

भारत देश के हृदय स्‍थल में स्थित प्राचीन दक्षिण कोसल क्षेत्र जिसे अब छत्‍तीसगढ के नाम से जाना जाता है, इस छत्‍तीसगढ राज्‍य के हृदय स्‍थल में बसे तथा राज्‍य की राजधानी होने का गौरव प्राप्‍त रायपुर शहर वर्तमान ही नहीं बल्कि प्राचीन समय से ही प्राप्त है । लोकमत …

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सरगुजा अंचल की जनजातियों में होली का त्यौहार

होली का पर्व हिंदी पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को हर्षोल्लास पूर्वक मनाया जाता है। यह त्योहार बसंत ऋतु में मनाया जाता है, इसलिए इसे बसंतोत्सव भी कहा जाता है। होली का त्यौहार हिंदू धर्म का महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। इसे फगुआ, फागुन, धूलेंडी, छारंडी और दोल के …

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दे दे बुलौआ राधे को नगर में : होली फाग गीतों के संग

प्रकृति मनुष्य को सहचरी है, यह सर्वविदित है। किन्तु मनुष्य प्रकृति का कितना सहचर है? यह प्रश्न हमें निरूत्तर कर देता है। हम सोचने के लिए विवश हो जाते हैं कि सचमुच प्रकृति जिस तरह से अपने दायित्वों का निर्वाह कर रही हैं? क्या मनुष्य प्रकृति के प्रति अपने दायित्वों …

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राजिम मेला : ऐतिहासिक महत्व एवं संदर्भ

ग्रामीण भारत के सामाजिक जीवन में मेला-मड़ई, संत-समागम का विशेष स्थान रहा है। स्वतंत्रता के पूर्व जब कृषि और ग्रामीण विकास नहीं हुआ था तब किसान वर्षा ऋतु में कृषि कार्य प्रारम्भ कर बसंत ऋतु के पूर्व समाप्त कर लेते थे। इस दोनों ऋतुओं के बीच के 4 माह में …

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हरिहर मिलन का पर्व : बैकुंठ चतुर्दशी

सनातन धर्म मे बारह महीनों का अपना अलग अलग महत्त्व है लेकिन समस्त मासों में कार्तिक मास को अत्यधिक पुण्यप्रद माना गया है। इस माह मे स्नान, दान व दीपदान के अलावा समस्त प्रमुख तीज त्योहार होते है। इस कार्तिक मास में बैकुंठ चतुर्दशी का विशेष महत्व है। इस दिन …

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छत्तीसगढ़ का पारम्परिक त्यौहार : जेठौनी तिहार

जेठौनी तिहार (देवउठनी पर्व) सम्पूर्ण भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, इस दिन को तुलसी विवाह के रुप में भी जाना जाता है। वैसे भी हमारे त्यौहारों के पार्श्व में कोई न कोई पौराणिक अथवा लोक आख्यान अवश्य होते हैं। ऐसे ही कुछ आख्यान एवं लोक मान्यताएं जेठौनी तिहार …

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दक्षिण कोसल की स्थापत्य कला में लक्ष्मी का प्रतिमांकन

प्राचीन काल में भारत में शक्ति उपासना सर्वत्र व्याप्त थी, जिसके प्रमाण हमें अनेक अभिलेखों, मुहरों, मुद्राओं, मंदिर स्थापत्य एवं मूर्तियों में दिखाई देते हैं। शैव धर्म में पार्वती या दुर्गा तथा वैष्णव धर्म में लक्ष्मी के रूप में देवी उपासना का पर्याप्त प्रचार-प्रसार हुआ। लक्ष्मी जी को समृद्धि सौभाग्य …

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