जहाँ पर मानव सभ्यता के विकास का वर्णन होता है वहां स्वत: ही तकनीकि रुप से दक्ष परम्परागत शिल्पकारों के काम का उल्लेख होता है। क्योंकि परम्परागत शिल्पकार के बिना मानव सभ्यता, संस्कृति तथा विकास की बातें एक कल्पना ही लगती हैं। शिल्पकारों ने प्राचीन काल से लेकर वर्तमान तक …
Read More »भीम का बनाया यह मंदिर अधूरा रह गया
छत्तीसगढ़ के जांजगीर में कलचुरीकालीन भव्य विष्णु मंदिर है। यह जांजगीर नगरी कलचुरी राजा जाज्वल्य देव की नगरी है तथा विष्णु मंदिर कल्चुरी काल की मूर्तिकला का अनुपम उदाहरण है। मंदिर में जड़े पत्थर शिल्प में प्राचीन परंपरा को दर्शाया गया है। अधूरा निर्माण होने के कारण इसे “नकटा” मंदिर …
Read More »ऐसी कौन सी घास है जो जन्म से मरण तक साथ निभाती है?
मनुष्य का बांस से साक्षात्कार अग्नि के माध्यम से हुआ, अग्नि प्रज्जवलित करने के लिए उसने अरणी पर परणी का घर्षण कर अग्नि का संधान किया। वर्तमान में विशेष समुदायों में विशेष अवसरों पर इसी तरह अग्नि प्रकट करने का विधान दिखाई देता है। जन्म के बाद बाँस से व्यक्ति …
Read More »जानिए क्या है संदेश भेजने एवं उत्साह प्रकट करने का प्राचीन यंत्र
टेसू के फ़ूलों एवं नगाड़ों का चोली-दामन का साथ है, जब टेसू फ़ूलते हैं तो अमराई में बौरा जाती है और नगाड़े बजने लगते हैं। पतझड़ का मौसम होने के कारण पहाड़ों पर टेसू के फ़ूल ऐसे दिखाई देते हैं जानो पहाड़ में आग लग गई हो। विरही नायिका के …
Read More »कौन हैं वे लोग जिनका मानव समाज को सभ्य एवं उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है?
आदि मानव ने सभ्यता के सफ़र में कई क्रांतिकारी अन्वेन्षण किए, कुछ तो ऐसे हैं जिन्होने जीवन की धारा ही बदल दी। प्रथम अग्नि का अविष्कार था। सोचकर ही देखिए कि अग्नि का अविष्कार कितना क्रांतिकारी बदलाव लेकर आया तत्कालीन समाज में। अग्नि के अविष्कार के बाद मिट्टी में से …
Read More »दंतेश्वरी मंदिर की प्राचीन प्रतिमा में सौंदर्य प्रसाधन पेटिका
बस्तर राजवंश की कुलदेवी दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण चौदहवीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में काकतीयों के 2 शिलालेख भी स्थापित हैं। इस मंदिर में एक प्रतिमा है जिसमें दो स्त्रियों को दिखाया गया है। जिसमें एक के हाथ में पेटिका (पर्स) तथा दूसरी स्त्री के हाथ में “बिजणा” …
Read More »बस्तर का परम्परागत द्वार निर्माण काष्ठ शिल्प
कला की अभिव्यक्ति के लिए कलाकार का मन हमेशा तत्पर रहता है और यही तत्परता उपलब्ध माध्यमों के सहारे कला की अभिव्यक्ति का अवसर देती है। वह रंग तुलिका से लेकर छेनी हथौड़ी तक को अपना औजार बनाकर कला को जन जन तक पंहुचाता है, इसमें काष्ठ कला भी कलाभिव्यक्ति …
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