छत्तीसगढ़ की धरती पुरातात्विक धरोहरों की दृष्टि से अत्यंत समृद्ध है। यहां पुरातात्विक महत्व के अनेक केन्द्र हैं। जिन पुरातात्विक स्थानों पर पुरातत्ववेत्ताओं का ध्यान अधिक आकृष्ट हुआ, जिनको ज्यादा प्रचार-प्रसार मिला वे स्थान लोगों की नजरों में आये और गौरव के केन्द्र बने। जिन पर लोगों का ध्यान नहीं …
Read More »नागा साधू द्वारा शापित नगर की कहानी
प्राचीनकाल से भारत भूमि में संत-महात्माओं, ॠषि-मुनियों की सुदीर्घ परम्परा रही है। संत-महात्माओं के आशीषों के फ़लों की किंदन्तियो, किस्से कहानियों के रुप में वर्तमान में चर्चा होती है तो उनके द्वारा दिए गये शापों की भी चर्चा होती है। ऐसा ही एक शाप लखनपुर को मिला था। जानकारों की …
Read More »अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार : छत्तीसगढ़ निर्माण दिवस
पृथक छत्तीसगढ़ राज्य का सपना हमारे पुरखों ने देखा था और उस सुनहरे स्वप्न को हकीकत का अमलीजामा पहनाने के लिए संघर्ष और आंदोलन का एक लंबा दौर चला। पं.सुंदरलाल छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के प्रथम स्वप्नदृष्टा थे तत्पश्चात डॉ खूबचंद बघेल, संत पवन दीवान, ठाकुर रामकृष्ण सिंह और श्री चंदूलाल …
Read More »ज्योतिष और खगोलशास्त्र के प्रकांड पंडित : महर्षि वाल्मीकि
भारत वर्ष ॠषि, मुनियों, महर्षियों की जन्म भूमि एवं देवी-देवताओं की लीला भूमि है। हमारी सनातन संस्कृति विश्व मानव समुदाय का मार्गदर्शन करती है, यहाँ वेदों जैसे महाग्रंथ रचे गए तो रामायण तथा महाभारत जैसे महाकाव्य भी रचे गये, जिनको हम द्वितीयोSस्ति कह सकते हैं क्योंकि इनकी अतिरिक्त विश्व में …
Read More »चंदैनी गोंदा के अप्रतिम कला साधक: रामचन्द्र देशमुख
छत्तीसगढ़ माटी की अपनी विशिष्ट पहचान है। जहां राग-रागिनियों, लोककला और लोक संस्कृति से यह अंचल महक उठता है और लोक संस्कृति की सुगंध बिखेरने वाली समूचे छत्तीसगढ़ अंचल की अस्मिता का नाम है ‘चंदैनी गोंदा’। चंदैनी गोंदा कला सौंदर्य की मधुर अभिव्यक्ति है। यह आत्मा का वह संगीत है …
Read More »महामाया देवी रतनपुर : छत्तीसगढ़
रतनपुर पूरे भारत वर्ष में न केवल ऐतिहासिक नगरी के रुप में प्रसिद्ध है, अपितु धार्मिक नगरी के रुप में भी प्रसिद्ध है। कलचुरि राजवंश के शासकों ने रतनपुर को अपनी राजधानी बनाकर पूरे छत्तीसगढ़ प्रदेश पर एक लम्बे समय लगभग 700 वर्षों तक शासन किया। जो भारतीय इतिहास में …
Read More »कोसीर की महिषासुरमर्दनी देवी
रायगढ़ जिले में सारंगढ़ से सोलह किलोमीटर की दूरी पर इस जिले का सबसे बड़ा गाँव कोसीर स्थित है। कोसीर की जनसंख्या लगभग दस हजार की है । गांव में जातिगत दृष्टि से जनजातीय समुदाय, सतनामी, वैष्णव, कहरा, केंवट, मरार, कलार, रावत, चन्द्रनाहू, कुर्मी, धोबी, नाई, लोहार, पनका, सारथी कुछ …
Read More »भैना राजाओं की कुलदेवी : खम्भेश्वरी माता
प्राचीन इतिहास के अध्ययन से ज्ञात होता है कि राजे-रजवाड़ों एवं जमीदारियों में शक्ति की उपासना की जाती थी और वर्तमान में भी की जाती है। शक्ति की उपासना से राजा शत्रुओं पर विजय के लिए शक्ति प्राप्त करता था। वह शक्ति को चराचर जगत में एक ही है पर …
Read More »एक बेल जो जंगल में राह भूला देती है
दुनिया अजब गजब है, इस धरती पर इतने रहस्य छुपे हुए हैं, जिनकी कल्पना नहीं की जा सकती। भले ही आज मानव चाँद पर पहुंचकर मंगल ग्रह पर बस्ती बसाने का प्रयत्न कर हो, पर धरती के रहस्य उसे अचंभे में डाल ही देते हैं। छत्तीसगढ़ प्रदेश भी कुछ ऐसा …
Read More »भारत माता के भक्त – भगत सिंह
(28 सितम्बर, जयन्ती पर विशेष) जागो तो एक बार जागो जागो तो जागे थे भगत सिंह प्यारे असेंबली में लग गए नारे ठप हो गयी सरकार जागो जागो तो . . . इस उत्साहवर्धक गीत के पश्चात् भैया प्रसंग बताने के लिए सामने आए। ‘हमारे बिगड़े दिमागों में बलिदानी विचार …
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