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इतिहास

इतिहास विभाग में वैदिक साहित्य में इतिहास, पौराणिक इतिहास, जनजातीय कथाओं में इतिहास, रामायण, महाभारत एवं जैन-बौद्ध ग्रंभों में इतिहास, भारतीय राजवंशो का इतिहास, विदेशी आक्रमणकारियों (मुगल एवं अंग्रेज) का इतिहास, स्वात्रंत्येतर इतिहास, बस्तर भूमकाल विद्रोह, नक्सल इतिहास, घुमक्कड़ परिव्राजक ॠषि मुनि तथा आदिम बसाहटों के इतिहास को स्थान दिया गया है।

नव मातृकाओं में सम्मिलित विनायकी

दक्षिण कोसल पुरातात्विक दृष्टि से समृद्ध है, यहाँ मौर्यकाल से लेकर कलचुरिकाल तक एवं उसके भी बाद के मंदिर एबं पुरातात्विक स्मारक दिखाई देते हैं। मंदिर निर्माण शैली में मुख्य देवता के साथ-साथ अनुशांगिक देवताओं की प्रतिमाओं की भी स्थापना की जाती है। यह वास्तु शैली पंचायतन शैली के मंदिरों …

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पुत्र को हिन्दवी स्वराज के सिंहासन तक पहुंचाने वाली आदर्श माता

भारतीय इतिहास में जीजाबाई एक ऐसी आदर्श माता हैं जिन्होंने अपने पुत्र जन्म से पहले एक ऐसे संकल्पवान पुत्र की कामना की थी जो भारत में स्वत्व आधारित स्वराज्य की स्थापना करे। माता की इसी कल्पना को शिवाजी महाराज ने हिन्दवी स्वराज्य के रूप में आकार दिया और माता अपने …

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बलिदानी क्राँतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल

क्राँतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून 1897 को शाहजहांपुर के खिरनी बाग में हुआ था। उनके पिता का नाम पं मुरलीधर और माता का नाम देवी मूलमती था। परिवार की पृष्ठभूमि आध्यात्मिक और वैदिक थी। पूजन पाठ और सात्विकता उन्हें विरासत में मिली थी। कविता और लेखन की क्षमता …

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दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा

पंडित राम प्रसाद विस्मिल का जन्म दिवस विशेष आलेख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका अग्रणी रही है। हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को होम कर दिया। इनमें कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं जो क्रांति का पर्याय बन चुके हैं। इनमें पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का नाम प्रमुखता से लिया …

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लुप्त इतिहास की कड़ियाँ जोड़ने वाला छत्तीसगढ़ का प्राचीन स्थल

डमरु उत्खनन से जुड़ती है इतिहास की विलुप्त कड़ियाँ छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पश्चात राज्य सरकार ने प्रदेश के पुरातात्विक स्थलों के उत्खनन एवं संरक्षण पर विशेष ध्यान केन्द्रित किया। इसके फ़लस्वरुप सिरपुर, मदकूद्वीप, पचराही, में उत्खनन कार्य हुआ तथा इसके पश्चात तरीघाट, छीता बाड़ी राजिम डमरु, जरवाय, लोरिक नगर …

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भारत के स्वतंत्रता सेनानियों पर स्वामी विवेकानंद का प्रभाव

भारत के राष्ट्रीय आंदोलन पर स्वामी विवेकानंद के प्रभाव का वर्णन स्वयं स्वतंत्रता के नायकों ने किया है। गांधीजी जब 1901 में पहली बार कांग्रेस अधिवेशन में हिस्सा लेने कलकत्ता पहुंचे तो उन्होंने स्वामी जी से मिलने का प्रयास भी किया था। अपनी आत्मकथा में गांधी लिखते हैं कि उत्साह …

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जब सैकड़ों क्षत्राणियों ने अपने बच्चों के साथ किया था अग्नि प्रवेश : 6 मई सन् 1532

सल्तनत काल के इतिहास में भारत का ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जहाँ हमलावरों से अपने स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा के लिये भारतीय नारियों ने अग्नि में प्रवेश न किया हो । फिर कुछ ऐसे जौहर हैं जिनकी गाथा से आज भी रोंगटे खड़े होते हैं। ऐसा ही एक जौहर …

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हिन्दू योद्धा जिसका पूरा जीवन युद्ध में बीता

पिछले डेढ़ हजार वर्षों में पूरे संसार का स्वरूप बदल गया है । 132 देश एक राह पर, 57 देश दूसरी राह पर और अन्य देश भी अपनी अलग-अलग राहों पर हैं। इन सभी देशों उनकी मौलिक संस्कृति के कोई चिन्ह शेष नहीं किंतु हजार आक्रमणों के बाद यदि भारत …

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महानदी अपवाह तंत्र की व्यापारिक पथ प्रणाली : शोध पत्र

विश्व में प्राचीन सभ्यताओं का उदय नदियों की घाटी पर हुआ है। आरंभ में आदिम मानव के लिए स्वयं को लंबे समय तक सुरक्षित रख पाना बेहद ही चुनौती पूर्ण था। आदिम मानव का निवास जंगलों में नदी-नालों, झरनों एवं झीलों के आस पास रहा करता था। उसके लिए जंगली …

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व्यापक और प्रचण्ड अवतार : परशुराम जी

झूठी है उनके क्रोधी होने और क्षत्रिय क्षय की बातें : अक्षय तृतीया विशेष लेख पृथ्वी पर सत्य, धर्म और न्याय की स्थापना के लिये भगवान् नारायण ने अनेक अवतार लिये हैं। इनमें परशुरामजी का अवतार पहला पूर्ण अवतार है। जो सर्वाधिक व्यापक है। संसार का ऐसा कोई कोना,कोई क्षेत्र …

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