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पुरातत्व

भगवान श्री राम की ऐतिहासिकता

भगवान राम की एतिहासिकता को लेकर लम्बे समय समय से एक दीर्घकालिक बहस विद्वानों के बीच होती रही है और राम मंदिर तथा राम सेतु जैसे मुद्दों ने इस चर्चा को व्यापक बनाने का काम किया है। किंतु आम जन-मानस को भगवान राम की ऐतिहासिकता जैसे विषयों से बहुत सरोकार …

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बस्तर की प्राचीन राजधानी बड़ेडोंगर

बस्तर का प्रवेश द्वार केशकाल आपको तब मिलेगा जब आप बारा भाँवर (बारह मोड़ों) पर चक्कर काटते हुए पहाड़ पर चढेंगे। केशकाल क्षेत्र में अनेक प्राकृतिक झरने, आदि-मानव द्वारा निर्मित शैलचि़त्र, पत्थर से बने छैनी आदि प्रस्तर युगीन पुरावशेष यत्र-तत्र बिखरे पड़े हैं। साल वृक्षों का घना जंगल, ऊँची- ऊँची …

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बरहाझरिया के शैलाश्रय और उसके शैलचित्र

कोरबा जिला 20°01′ उत्तरी अक्षांश और 82°07′ पूर्वी देशांतर पर बसा है। इसका गठन 25 मई 1998 को हुआ, उसके पहले यह बिलासपुर जिले का ही एक भाग था। यहाँ का क्षेत्रफल 712000 हेक्टेयर है। जिले में चैतुरगढ़ का किला, तुमान का शिव मंदिर और पाली का शिव मंदिर भारत …

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शिव द्वार का प्रहरी कीर्तिमुख

मंदिरों में एक ऐसा मुख दिखाई देता है, जो वहाँ आने वाले प्रत्येक भक्त के मन में कौतुहल जगाता है, वे उसे देखकर आगे बढ़ जाते हैं और मन में प्रश्न रहता है कि ऐसी भयानक आकृति यहाँ क्यों स्थापित की गई? फ़िर सोचते हैं कि शिवालयों में भयावह आकृति …

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पद्मश्री विष्णु श्रीधर वाकणकर की मल्हार (छत्तीसगढ़) यात्रा : एक संस्मरण

बात तब की है जब छत्तीसगढ़ अविभाजित मध्यप्रदेश का हिस्सा था। उज्जैन में एक 1987 में शोध संगोष्ठी का आयोजन हुआ था। मेरे पिताजी स्वर्गीय श्री गुलाब सिंह ठाकुर जी और राष्ट्रपति पुरस्कृत शिक्षक स्वर्गीय श्री रघुनंदन प्रसाद पांडेय जी शिविर में भाग लेने और शोधपत्र वाचन करने उज्जैन गए …

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छत्तीसगढ़ में संग्रहालय : अंतर्राष्ट्रीय संग्रहालय दिवस विशेष

‘संग्रह’ न केवल मनुष्य वरन अनेक जीवों की आदिम प्रवृत्ति है। इस जैविक प्रवृत्ति का उदय कदाचित् जीवितता के लिये हुआ हो, किन्तु अन्य जीव-जन्तुओं की संचयी प्रवृत्ति जीवन की मूलभूत आवश्यकता ‘भोजन-वस्त्र-आवास’ के इर्द-गिर्द केन्द्रित रही जबकि मनुष्य के बौद्धिक विकास के साथ उसकी संचयी-वृत्ति ने अनेक महत्वपूर्ण आयामों …

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अद्भुत मेधाशक्ति सम्पन्न पुराविद : पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर

जन्म शताब्दी विशेष लेख आज हम पद्मश्री श्री विष्णु श्रीधर वाकणकर जी जिसे हम हरिभाऊ के नाम से भी जानते हैं, की जन्मशताब्दी मना रहें हैं। इस महामना का जन्म आज ही के दिन ४ मई १९१९ को मध्यप्रदेश के नीमच नामक स्थान पर हुआ था। आपके माता जी श्रीमती …

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दक्षिण कोसल की जोंक नदी घाटी सभ्यता एवं जलमार्गी व्यापार

प्राचीनकाल से मानव ने सभ्यता एवं संस्कृति का विकास नदियों की घाटियों में किया तथा यहीं से उनकी आवश्यकताओं की पूर्ति होती थी। नदी घाटियों में प्राचीन मानव के बसाहट के प्रमाण मिलते हैं। कालांतर में नदियों के तटवर्ती क्षेत्र आवागमन की दृष्टि से सुविधाजनक एवं व्यापार के केंद्र बने। …

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क्या आप जानते हैं महिषासुर का वध कहाँ हुआ था?

महिषासुर राक्षस का उल्लेख देवी भागवत में हुआ है, जिसका संहार देवी दुर्गा ने किया था। वह पहाड़ी कन्दराओं एवं बीहड़ जंगलों में विचरण करता था । देवी भागवत में उपर्युक्त सभी कथाओं का वर्णन तो है, लेकिन महिषासुर का उद्भव कहाँ हुआ था? तथा उसका मर्दन किस स्थान पर …

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पटनागढ़ के चौहान शासकों की देवी : पाटमेश्वरी

ब्राह्मणडीह ग्राम जिला महासमुन्द छ ग की प्राचीन जमींदारी सुअरमार अक्षांश 20°58’31.49 देशांश 82°27’25.46 में जोंक नदी एवम उसकी सहायक कांदाजरी नदी के दोआब व राष्ट्रीय राजमार्ग 243 पर माँ पाटमेश्वरी मन्दिर स्थित है। यहां दो तालाबो का समूह रहा, वर्तमान ब्रह्म ताल (27 एकड़) का निर्माण सम्भवतः कलचुरि काल …

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