छत्तीसगढ़ की कला संस्कृति में वाद्य यंत्रों का विशेष महत्व है. इन्ही में से नगाड़ा एक ऐसा वाद्ययंत्र जो आज भी छत्तीसगढ़ के विभिन्न आयोजनों में दिखाई देता है. भले ही इसका चलन कम हुआ है, लेकिन आज भी इसकी जगह अन्य वाद्ययंत्र नहीं ले पाया है. जब इसकी आवाज …
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भारत की ऋषि और कृषि चेतना का पर्व है होली
समस्त ब्रह्मांड की रीति – नीति का संचालन किसी एक नियत व्यवस्था के अंतर्गत होता है। भारतीय ऋषियों ने इस व्यवस्था को ‘ऋत’ कहा है। ऋत अर्थात् नैसर्गिक नियम। सूर्य, चंद्रमा, तारे, दिन-रात आदि इसी नियम द्वारा संचालित होते हैं, ऋत- वैदिक धर्म में सही प्राकृतिक व्यवस्था और संतुलन के …
Read More »बसंती चोले के तीन राष्ट्रभक्त दीवाने
(23 मार्च, बलिदान दिवस पर विशेष) ‘एक जीवन और एक ध्येय’ वाले तीन मित्र भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, इन तीनों की मित्रता क्रांति के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। बसंती चोला के इन दीवानों की ऐसी मित्रता थी जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ थी और बलिदान के बाद …
Read More »भारतीय इतिहास की हृदयविदारक घटना : शहीद दिवस
“जो आँखें देशहित जागी, वो हरगिज़ सो नहीं सकती। जिस्म के ख़ाक होने पर भी, शोहरत खो नहीं सकती। भले दौलत की ताक़त से खरीदो, सारी दुनिया को, शहादत की मगर कोई भी क़ीमत हो नहीं सकती।। ” भारत को परतंत्रता की बेड़ियों से मुक्त कराने के दो मुखर स्वर …
Read More »छत्तीसगढ़ी नाचा और गम्मत : हमारी धरोहर
भारत का हृदय प्रांत छत्तीसगढ़ एक उत्सव प्रिय राज्य होने के साथ ही लोककलाओं का कुबेर भी है।इसके अधिकांश हिस्से में ग्रामीण आदिवासी निवास करते हैं।लगभग वर्ष भर यहां विविध पर्वों और उत्सवों का आयोजन होता रहता है। प्राचीन काल से ऐसे उत्सवों पर उल्लास की अभिव्यक्ति छत्तीसगढ़ के कलाकार …
Read More »आध्यात्म और पर्यटन का संगम गिरौदपुरी का मेला
नवगठित बलौदाबाजार भाटापारा जिलान्तर्गत बलौदाबाजार से 45 कि मी पर जोंक नदी के किनारे गिरौदपुरी स्थित है। गिरौदपुरी जाने के लिए रायपुर से सड़क मार्ग से कटगी से और गिधौरी से बरपाली होकर जाने का रास्ता है। यहाँ सतनाम पंथ के गुरु घासीदास की जन्मस्थल है और जोंक नदी के …
Read More »झालावंश की सात पीढ़ियों ने राष्ट्र के लिये प्राण न्यौछावर किये
17 मार्च 1527 : खानवा के युद्ध में अज्जा झाला का बलिदान पिछले डेढ़ हजार वर्षों दुनियाँ के दो सौ देशों के स्वरूप और संस्कृति बदल गई। लेकिन विध्वंस की आँधी और विभाजन की त्रासदी के बीच भी भारत की संस्कृति अक्षुण्ण है। यह उन बलिदानियों के कारण संभव हो …
Read More »खेलत अवधपुरी में फाग, रघुवर जनक लली
होली हिन्दुओं का एक प्रमुख त्योहार है। भारतीय संस्कृति का अनूठा संगम उनकी त्योहारों और पर्वो में दिखाई देता है। इन पर्वो में न जात होती है न पात, राजा और रंक सभी एक होकर इन त्योहारों को मनाते हैं। सारी कटुता को भूलकर अनुराग भरे माधुर्य से इसे मनाते …
Read More »ब्रज होरी आई रस भरी
होली का त्यौहार हो और ब्रज का ध्यान न आये, ऐसा हो ही नहीं सकता। होली का ब्रज में विशेष महत्व है। इसीलिए होली और ब्रज एक दूसरे का पर्याय बन गये हैं। श्रीकृष्ण होली के नायक हैं और नायिका राधारानी हैं। राधा -कृष्ण की दिव्य होली प्रति वर्ष ब्रज …
Read More »छत्तीसगढ़ के बिखरे साहित्यकारों को समेटने वाले ठाकुर जगमोहन सिंह
ठाकुर जगमोहन सिंह वास्तव में विजयराघवगढ़ के राजकुमार, भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के सहपाठी, मित्र और उत्कृष्ट साहित्यकार थे। वे 1880 से 1882 तक धमतरी और 1885 से 1887 तक शिवरीनारायण में तहसीलदार थे। शिवरीनारायण में उन्होंने दर्जन भर पुस्तकें लिखीं और प्रकाशित कराई। श्यामा स्वप्न उनकी गद्य पद्य में लिखी उपन्यास …
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