अर्जुन तुम घबराना मत , इनके झाँसे में आना मत … बाक़ी है सारा धर्म युद्ध , अंतर्मुखी निष्क्रिय क्रुद्ध , अवसाद मुक्त संशय निरुद्ध , ये रक्त देख शरमाना मत , अर्जुन तुम घबराना मत ।। १॥ द्रुपदपुत्री का चीर हरण , प्रसुप्त हिंदू का वीर हरण , शिवप्रसाद …
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“भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के कालजयी महारथी : हुतात्मा पं. रामप्रसाद बिस्मिल”
(जयंती पर एक आलोचनात्मक परीक्षण ) भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास और भविष्य की सच्चाई यही रही है कि जिन हुतात्माओं स्वतंत्रता संग्राम में बरतानिया सरकार के विरुद्ध जंग लड़ी उनको देशद्रोही, आतंकवादी लुटेरा और डकैत कहा गया तथा उन्हें ही फाँसी और कालापानी की सजाएँ दी गईं, इसके विपरीत …
Read More »चर्च की सत्ता के विरुद्ध उलगुलान के नायक बिरसा मुंडा
अमर क्रान्तिकारी बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 छोटा नागपुर कहे जाने वाले क्षेत्र में हुआ था। यह क्षेत्र अब झारखंड में है। उनकी माता सुगना देवी और पिता करमी मुंडा का गाँव झारखंड प्रांत के रांची जिले में पड़ता है। उनकी प्रारंभिक शिक्षा ग्राम साल्वा में हुई।अंग्रेजी शिक्षा …
Read More »छत्तीसगढ़ की भुंजीया जनजाति और उनका रामायणकालीन संबंध
प्राचीन काल से ही भारत में जनजातियों का अस्तित्व रहा है। प्रागैतिहासिक काल से लेकर ऐतिहासिक काल और आधुनिक काल में वर्तमान समय तक जनजातीय संस्कृति की निरंतरता दिखाई देती है। आरण्यक जीवन, फिर ग्रामीण संस्कृति और कालांतर में नगरीय सभ्यता का उद्भव इन सबका एक क्रमिक विकासक्रम दिखाई देता …
Read More »सिंधुघाटी की परंपराएं अभी शेष हैं बस्तर में
सिंधु निवासियों ने आगे बढ़कर भारत में अपने निवास के लिए वैसे ही क्षेत्र को चुना जैसा सिंधु का इलाका रहा, भरपूर जल, घने वन और सहचर जीव, जानवर। उन स्थलों में आज का बस्तर अधिक उपयुक्त रहा। छत्तीसगढ़ के सुदूर दक्षिण में घने जंगलों, नदी घाटियों से आच्छदित यह क्षेत्र आज अपने अंदर विश्व की सबसे पुरानी संस्कृति को आत्मसात किए हुए हैं।
Read More »दो व्यवस्थाओं की खींचतान के बीच पहला आमचुनाव और बस्तर (आलेख – 1)
बस्तर संभाग में चुनावों की परिपाटी को समझने के लिए उस क्षितिज की ओर चलना होगा जिन समयों में साम्राज्यवादिता का अवसान हुआ और नए नए स्वाधीन हुए देश भारत में लोकतंत्र की आहट सुनाई पड़ने लगी थी।
Read More »स्वर्ण मंदिर की नींव रखने वाले गुरु श्री अर्जुन देव
सिखों के पांचवें गुरु श्री अर्जुन देव साहिब का जन्म वैशाख वदी 7, संवत 1620 तिथि को अमृतसर में हुआ था। जो कि 2024 में 30 अप्रेल के दिन है। इनके पिता सिख धर्म के चौथे गुरु रामदास जी थे। अर्जुन देव जी का धर्म के प्रति समर्पण, निर्मल हृदय …
Read More »जानिए दानवीर भामाशाह कौन थे
29 अप्रैल 1547 में सुप्रसिद्ध दानवीर और राष्ट्रसेवी मेवाड़ के भामाशाह का जन्म दासत्व के अंधकार से भरी लंबी रात्रि के बीच यदि भारत में राष्ट्रभाव पल्लवित हो रहा तो इसके पीछे वे असंख्य विभूतियाँ हैं जिन्होंने अपना सर्वस्व समर्पित करके इस दीप को जलाये रखा। कुछ ने प्राण दिये …
Read More »मराठा साम्राज्य को विस्तार देने वाले सेनानायक बाजीराव पेशवा
28 अप्रैल 1740 सुप्रसिद्ध सेनानायक बाजीराव पेशवा का खरगौन में निधन पिछले डेढ़ हजार वर्षों में पूरे संसार का स्वरूप बदल गया है। 132 देश एक राह पर, 57 देश दूसरी राह पर और अन्य देश भी अपनी अलग-अलग राहों पर हैं। इन सभी देशों उनकी मौलिक संस्कृति के कोई …
Read More »सदाबहार गीतकार याने श्री नारायण लाल परमार
27अप्रेल नारायण लाल परमार जी की पुण्यतिथि पर विशेष आलेख अपने भीतर एवं निहायती देहाती किस्म का बज्रमूर्ख बैठा हुआ है, जो हर किसी से अपनत्व चाहता है, जो विशुद्ध घरू वातावरण में साहित्य को जीना चाहता है, जो कभी साहित्य में रचनाकार को ढूंढता है, तो कभी उसके व्यक्तित्व …
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