भारतीय राजनीति के वृहदाकाश में दैदीप्यमान पं. दीनदयाल उपाध्याय अपने राष्ट्रीय विचारों, राष्ट्रवाद व भारतीय सनातन हिन्दू संस्कृति के मुखर पक्षधर व तदानुरुप रीति-नीति के आधुनिक राजनैतिक प्रवर्तकों में लब्ध-प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने केवल विचार ही नहीं दिए,अपितु जनसंघ व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के माध्यम से विचारों को धरातलीय रुप भी …
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सुप्रसिद्ध क्राँतिकारी डॉ गया प्रसाद कटियार
10 फरवरी 1993 : का निधन, स्वतंत्रता के बाद जन आंदोलन में दो वर्ष जेल में रहे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कुछ ऐसे सेनानी हुये जिनका पूरा जीवन संघर्ष में बीता। पहले स्वतंत्रता के लिये अंग्रेजों से संघर्ष किया और स्वतंत्रता के बाद जन समस्याओं के निवारण के लिये अपनी …
Read More »उंराव जनजाति है भगवान राम की वंशज
पूरी दुनिया में श्री राम मंदिर के निर्माण को लेकर जबरजस्त उत्साह देखा जा रहा है। देश में भगवान श्री राम से जुड़ी कई कथाओं की चर्चा हो रही है लोग अपने अपने ढंग से भगवान श्री राम को अपने से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं यहां तक कि …
Read More »धर्मसम्राट स्वामी करपात्री महाराज
गौरक्षा का ऐतिहसिक आँदोलन इन्हीं नेतृत्व में हुआ धर्म सम्राट करपात्रीजी महाराज एक महान सन्त, स्वतंत्रता संग्राम सेनानी थे। उनका पूरा जीवन भारतीय सांस्कृतिक मूल्यों की प्रतिष्ठापना और स्वत्व जागरण के लिये समर्पित रहा। इतिहास प्रसिद्ध गौरक्षा आँदोलन उन्हीं के आव्हान पर हुआ था। वे उतना ही भोजन ग्रहण करते …
Read More »गीतों की शब्द शक्ति से राष्ट्रभक्ति और स्वाभिमान जागरण की यात्रा
6 फरवरी 1915 : कवि प्रदीप का जन्म दिवस मध्यप्रदेश के बड़नगर में भारतीय स्वाधीनता संग्राम में करोड़ो प्राणों के बलिदान हुये । ये बलिदान साधारण नहीं थे । पर इन बलिदानों केलिये आव्हान करने वाले शब्द साधकों की भी एक धारा रही है जिन्होंने अपने शब्दों की शैली और …
Read More »छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रचे बसे लोकगीत
लोककला मन में उठने वाले भावों को सहज रुप में अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्वत: स्थानांतरित हो जाने वाली विधा है। लोक कला हमारी संस्कृति की पहचान होती है, हमारी खुशी को प्रकट करने का माध्यम होती है। लोककला का क्षेत्र …
Read More »उपन्यास और लेखन से स्वत्व जागरण : आचार्य चतुरसेन शास्त्री
स्वाधीनता के लिये संघर्ष जितना महत्वपूर्ण है उतना ही महत्वपूर्ण है समाज में स्वत्व जागरण का अभियान। यदि स्वत्ववोध नहीं होगा तो स्वतंत्रता की चेतना कैसे जाग्रत होगी। अपने लेखन से स्वत्व चेतना का यही अभियान चलाया आचार्य चतुरसेन शास्त्री ने। उन्होने अपना सार्वजनिक जीवन स्वतंत्रता संग्राम से आरंभ किया …
Read More »कितनी रामकथाएँ और कितने महाकाव्य ?
पूरी दुनिया में श्रीराम कथाओं की महिमा अपरम्पार है। भारत के सांस्कृतिक इतिहास में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम की जीवन -गाथा अनुपम और अतुलनीय है। प्राचीन काल में उनके महान जीवन संग्राम पर महाकवियों द्वारा कई रामायणों की रचना की गयी है। अलग -अलग समय में अलग -अलग भाषाओं में …
Read More »राम से बड़ा राम का नाम
छत्तीसगढ़ प्राकृतिक वैभव से परिपूर्ण, वैविध्यपूर्ण सामाजिक और सांस्कृतिक संरचना तथा अपने गौरवपूर्ण अतीत को गर्भ में समाए हुआ है। प्राचीन काल में यह दंडकारण्य, महाकान्तार, महाकोसल और दक्षिण कोसल कहलाता था। दक्षिण जाने का मार्ग यहीं से गुजरता था इसलिए इसे दक्षिणापथ भी कहा गया ऐसा विश्वास किया जाता …
Read More »भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अग्रणी नेता लाला लाजपत राय
उन्होंने कहा था -ग़ुलामी के बन्धनों में जीना याने स्वयं की ज़िन्दगी को तबाह करना है। लेकिन यह भी सच है कि आज़ादी भले ही हमें प्यारी हो, पर उसे पाने का रास्ता हमेशा कठिन चुनौतियों से भरा होता है। – अपने इन्हीं विचारों पर अडिग रहते हुए लाला लाजपतराय …
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