हमारा देश जब अंग्रेजों की गुलामी में जकड़ा हुआ था और चारों ओर त्राहि त्राहि मची हुई थी तब छत्तीसगढ़ भी इससे अछूता नहीं था। यहां भी गांधी, नेहरू और सुभाषचंद्र जैसे सपूत हुए जिन्होंने यहां जन जागृति फैलायी। इनमें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और साहित्यकार थे जिन्होंने अपनी काव्यधारा प्रवाहित …
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हर जेल यात्रा में ग्रंथ तैयार करने वाले सेनानी साहित्यकार
9 सितम्बर 1968 : स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साहित्यकार रामवृक्ष बेनीपुरी पुण्यतिथि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम विविधता से भरा है। क्राँतिकारी और अहिसंक आँदोलन के साथ अन्य धाराओं में एक ऐसी धारा भी रही जिसने प्रत्यक्ष आँदोलनों में सहभागिता के साथ ऐसी साहित्य रचना भी की जिसने जन सामान्य को झकझोर और …
Read More »छत्तीसगढ़ में रासलीला और श्रीकृष्ण के लोक स्वरूप
एक समय था जब नाट्य साहित्य मुख्यतः अभिनय के लिए लिखा जाता था। कालिदास, भवभूति और शुद्रक आदि अनेक नाटककारों की सारी रचनाएं अभिनय सुलभ है। नाटक की सार्थकता उसकी अभिनेयता में है अन्यथा वह साहित्य की एक विशिष्ट लेखन शैली बनकर रह जाती। नाटक वास्तव में लेखक, अभिनेता और …
Read More »मैय्या मोरी मैं नहीं माखन खायो
भारतवर्ष ने जहां एक ओर विदेशी आक्रांताओं का दंश झेला, अत्याचार सहे वहीं दूसरी ओर इस पुण्यभूमि पर अनेकों महापुरुषों, ऋषि-मुनियों ने जन्म लिया। इस देवभूमि को तो साक्षात भगवानों की माता कहलाने का भी गौरव प्राप्त है और हम भरतवंशियों को भगवानों का वंशज कहलाने का परम सौभाग्य मिला …
Read More »संतान की कुशलता की कामना का पर्व : कमरछठ
लोकपर्व-खमरछठ (हलषष्ठी) माताओं का संतान के लिए किया जाने वाला, छत्तीसगढ़ राज्य की अनूठी संस्कृति का एक ऐसा पर्व है जिसे हर वर्ग, हर जाति मे बहूत ही सद्भाव से मनाया जाता है तथा संतान के सुखी जीवन की कामना की जाती है। हलषष्ठी को हलछठ, कमरछठ या खमरछठ भी …
Read More »धर्म और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक : डॉ राधाकृष्णन
किसी भी देश को महान बनाने के लिए माता-पिता और शिक्षक की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।माता को प्रथम गुरु एवं परिवार को प्रथम पाठशाला कहा जाता है। माँ हमें दया, करुणा, आदर, क्षमा, परोपकार सहयोग, समानता आदि सभी मानवीय गुणों का भाव देती है। जिस प्रकार माता पिता शरीर का …
Read More »वीर बालिका मैना देवी का बलिदान
3 सितम्बर 1857 चौदह वर्षीय बालिका अंग्रेजों ने कठोर यातनाएँ देकर जिन्दा जलाया पराधीनता काल के भीषण अत्याचारों से केवल सल्तनकाल का इतिहास ही रक्त रंजित नहीं है, अंग्रेजी शासन काल में भी दर्जनों ऐसी क्रूरतम घटनाएँ इतिहास के पन्नों में दर्ज हैं जिन्हें पढ़कर आज भी प्रत्येक भारतीय आत्मा …
Read More »अमर शहीदों का चारण राष्ट्र कवि
2 सितंबर 2000 स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और राष्ट्रकवि श्रीकृष्ण सरल का निर्वाण दिवस श्रीकृष्ण सरल की कविता ग्यारहवीं की हिन्दी पाठ्य पुस्तक में थी, हम उसे पढ़ते थे। 1983 में एक दिन श्रीकृष्ण सरल जी स्वयं मेरे स्कूल में पधारे। क्लास में आकर उन्होंने “अमर शहीदों का चारण” नामक कविता …
Read More »बीहड़ वन में गुफ़ा निवासिनी सुंदरा दाई
सनातन संस्कृति में देवी – देवताओं की पूजा -अर्चना का इतिहास आदि काल से ही रहा है। भारत की संस्कृति विश्व में महत्वपूर्ण स्थान रखती है। भारत वर्ष में अलग -अलग जगहों पर मंदिरों में विराजी आदि देवी शक्तियों की गाथाएं और जन श्रुतियाँ जनमानस के साथ आस्था और विश्वास …
Read More »महर महर करे भोजली के राउर : भोजली तिहार
श्रावण मास में जब प्रकृति अपने हरे परिधान में चारों ओर हरियाली बिखेरने लगती है तब कृषक अपने खेतों में बीज बोने के पश्चात् गांव के चौपाल में आल्हा के गीत गाने में मग्न हो जाते हैं। इस समय अनेक लोकपर्वो का आगमन होता है और लोग उसे खुशी खुशी …
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