अर्जुन तुम घबराना मत ,
इनके झाँसे में आना मत …
बाक़ी है सारा धर्म युद्ध ,
अंतर्मुखी निष्क्रिय क्रुद्ध ,
अवसाद मुक्त संशय निरुद्ध ,
ये रक्त देख शरमाना मत ,
अर्जुन तुम घबराना मत ।। १॥
द्रुपदपुत्री का चीर हरण ,
प्रसुप्त हिंदू का वीर हरण ,
शिवप्रसाद का करो वरण ,
विष को पी झुंझलाना मत ,
अर्जुन तुम घबराना मत ।। २॥
अबकी केशव ने बचा लिया ,
है मारीच कौन ये दिखा दिया ,
उस दिवा स्वप्न से जगा दिया ,
अपनी प्रतिमा बनवाना मत ,
अर्जुन तुम घबराना मत ।। ३॥
कई पाक दोबारा गढ़ने को ,
गजवा ए हिन्द तक लड़ने को ,
हिंदू को जाती द्रोह में मढ़ने को ,
इन मंसूबों का मर्दन करने तक ,
अर्जुन तुम घबराना मत ॥४॥
अर्जुन तुम शस्त्र उठाना अब ,
अर्जुन तुम घबराना मत ….
©️ लक्ष्मण सिंह मरकाम “ लक्ष्य “