कांगेर वैली राष्ट्रीय उद्यान छत्तीसगढ़ प्रदेश के बस्तर जिले के जिला मुख्यालय जगदलपुर में स्थित है। राष्ट्रीय उद्यान को कांगेर नदी से अपना नाम मिलता है, जो उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व दिशा में केंद्र से बहती है। वर्ष 1982 में वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के तहत राष्ट्रीय उद्यान अधिसूचित किया …
Read More »दक्षिण कोसल में रामायण का प्रभाव : वेब संगोष्ठी सम्पन्न
ग्लोबल इन्सायक्लोपीडिया ऑफ रामायण छत्तीसगढ़ एवं सेंटर फ़ॉर स्टडी ऑन होलिस्टिक डेवलपमेंट के संयुक्त तत्वाधान में अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार की श्रृंखला में दिनाँक 28/06/2020 को शाम 7:00 से 8:30 बजे के मध्य में एक कड़ी और जुड़ गई। इस वेबिनार का विषय “दक्षिण कोसल में रामायण का प्रभाव” था। उदघाटन संबोधन …
Read More »छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रामकथा की व्याप्ति : वेबीनार रिपोर्ट
रामायण के इनसायक्लोपीडिया निर्माण को लेकर दिनांक 21/6 /2020 को शाम 5:00 से 6:30 तक “छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रामकथा की व्याप्ति” नामक अंतरराष्ट्रीय वेबीनार का आयोजन किया गया। इस आयोजन में देश-विदेश से लगभग 109 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस अंतरराष्ट्रीय शोध संगोष्ठी वेबीनार का आयोजन सेंटर फॉर स्टडी हॉलिस्टिक …
Read More »छत्तीसगढ़ भी आए थे भगवान बुद्ध
भारत के प्राचीन इतिहास में कोसल और दक्षिण कोसल के नाम से प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ प्रदेश अनेक महान संतों और महान विभूतियों की जन्मस्थली, कर्म भूमि और तपोभूमि के रूप में भी पहचाना जाता है। कई महान विभूतियों ने यहाँ जन्म तो नहीं लिया, लेकिन अपनी चरण धूलि से और अपने महान …
Read More »रहस्य और रोमांच से परिपूर्ण ताला की कलाकृतियाँ
देवरानी-जेठानी मंदिर ताला हमारे देश के गिने-चुने पुरातात्वीय धरोहरों में से एक है जो भारतीय कला परंपरा के गौरवशाली स्वर्णिम अध्याय में दुर्लभ और विलक्षण कलाकृतियों के लिए विख्यात है। छत्तीसगढ़ के महत्वपूर्ण पुरातत्वीय स्थलों में ताला का नाम विगत शताब्दी के आठवें दशक से जुड़ा है तभी से यह …
Read More »युवा बैगा वनवासियों का प्रिय दसेरा नृत्य
वनवासी संस्कृति में उत्सव मनाने के लिए नृत्य प्रधान होता है। जब भी कोई उत्सव मनाते हैं वहाँ नृत्य एवं गान आवश्यक हो जाता है। ढोल की थाप के साथ सामुहिक रुप से उठते हुए कदम अद्भुत दृश्य उत्पन्न करते हैं। यह नृत्य युवाओं को प्रिय है क्योंकि इससे ही …
Read More »ऐसी चित्रकारी जहाँ देह बन जाती है कैनवास
भारत विभिन्नताओं का देश है, यहाँ आदिम जातियाँ, आदिम संस्कृति से लेकर आधुनिक संस्कृति भी दिखाई देती है। यहाँ उत्तर से लेकर दक्षिण तक एक ही कालखंड में विभिन्न मौसम मिल जाएंगे तो विभिन्न प्रकार के खान पान के साथ विभिन्न बोली भाषाओं भी सुनने मिलती हैं, इतनी विभिन्नताएं होते …
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