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Tag Archives: स्वतंत्र्य समर

स्वदेशी आंदोलन के प्रणेता गणेश वासुदेव जोशी

अंग्रेजी सत्ता ने भारत में अपनी जड़ों को गहरा करने के लिये व्यापार को माध्यम बनाया था। उन्होंने पहले विदेशी वस्तुओं का आकर्षण पैदा किया फिर स्वदेशी उत्पाद का दमन किया। 1857 में क्रान्ति की असफलता के बाद इस तथ्य अनेक महापुरुषों ने पहचाना उनमें सबसे प्रमुख थे गणेश वासुदेव …

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अंग्रेजी शासन की जड़ें हिलाने वाले अद्भुत योद्धा

महान क्राँतिकारी चन्द्रशेखर आजाद एक ऐसे विलक्षण व्यक्तित्व के धनी थे कि उन्होंने अंग्रेजी शासन के विरुद्ध भारत के संपूर्ण क्राँतिकारी आँदोलन कारियों को एकजुट किया तथा बंगाल से पंजाब तक अंग्रेजी शासन की जड़ें हिला दीं। उनका जन्म 23 जुलाई 1906 को मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले के अंतर्गत ग्राम …

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भारतीय इतिहास का भयानक नरसंहार : सत्तीचौरा घाट

17 से 21 जुलाई 1857 : अंग्रेजों द्वारा कानपुर में भीषण नरसंहार जलियाँवाला बाग में हुये सामूहिक नरसंहार को सब जानते हैं। पर अंग्रेजों ने इससे पहले और इससे भीषण नरसंहार भी किये हैं। इनमें एक भीषण नरसंहार जुलाई 1857 को कानपुर में हुआ। इसमें लगभग बीस हजार से अधिक …

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बलिदानी क्राँतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल

क्राँतिकारी राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11जून 1897 को शाहजहांपुर के खिरनी बाग में हुआ था। उनके पिता का नाम पं मुरलीधर और माता का नाम देवी मूलमती था। परिवार की पृष्ठभूमि आध्यात्मिक और वैदिक थी। पूजन पाठ और सात्विकता उन्हें विरासत में मिली थी। कविता और लेखन की क्षमता …

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दुनिया से गुलामी का मैं नाम मिटा दूंगा

पंडित राम प्रसाद विस्मिल का जन्म दिवस विशेष आलेख भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारियों की भूमिका अग्रणी रही है। हजारों क्रांतिकारियों ने अपने प्राणों को होम कर दिया। इनमें कई ऐसे क्रांतिकारी रहे हैं जो क्रांति का पर्याय बन चुके हैं। इनमें पंडित रामप्रसाद बिस्मिल का नाम प्रमुखता से लिया …

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बसंती चोले के दीवाने : भगत-सुखदेव-राजगुरु

(23 मार्च, बलिदान दिवस पर विशेष) ‘एक जीवन और एक ध्येय’ वाले तीन मित्र भगतसिंह, सुखदेव और राजगुरु, इन तीनों की मित्रता क्रांति के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय है। बसंती चोले के इन दीवानों की ऐसी मित्रता थी जो जीवन के अंतिम क्षण तक साथ थी और बलिदान के बाद …

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