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Tag Archives: सुआ गीत

छत्तीसगढ़ी संस्कृति में रचे बसे लोकगीत

लोककला मन में उठने वाले भावों को सहज रुप में अभिव्यक्त करने का सशक्त माध्यम है। यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को स्वत: स्थानांतरित हो जाने वाली विधा है। लोक कला हमारी संस्कृति की पहचान होती है, हमारी खुशी को प्रकट करने का माध्यम होती है। लोककला का क्षेत्र …

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छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का दर्पण है सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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नारी मनोव्यथा की अभिव्यक्ति सुआ गीत

छत्तीसगढ़ की समृद्ध संस्कृति का हिस्सा है सुआ गीत। यह छत्तीसगढ़ प्रदेश की गोंड जाति की स्त्रियों का प्रमुख नृत्य-गीत है लेकिन अन्य जाति के महिलाएं भी इसमें सम्मिलित होकर नृत्य करती हैं। जिसे सामूहिक रुप से किया जाता है। यह मुख्यतः महिलाओं के मनोभावों सुख-दुख आदि की अभिव्यक्ति का …

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छत्तीसगढ़ के लोकगीतों का सामाजिक संदर्भ

लोक गीत लोक जीवन के अन्तर्मन की अतल गहराइयों से उपजी भावानुभूति है। इसलिए लोकगीतों में लोक समाज का क्रिया-व्यापार, जय-पराजय, हर्ष-विषाद उत्थान-पतन, सुख-दुख सब समाहित रहता है। हजारी प्रसाद द्विवेदी ने कहा है कि “ये गीत प्रकृति के उद्गम और आर्येत्तर के वेद है।” उक्त कथन लोक गीत की …

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