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Tag Archives: सामाजिक समरसता

सामाजिक समरसता एवं भक्ति की अनुपम प्रतीक देवी शबरी

फाल्गुन कृष्ण पक्ष सप्तमी : शबरी माता जयंती भक्त शिरोमणि शबरी वनवासी भील समाज से थी। फिर भी मातंग ऋषि के गुरु आश्रम की उत्तराधिकारी बनी। रामजी ने उनके जूठे बेर खाये। यह कथा भारतीय समाज की उस आदर्श परंपरा का उदाहरण है कि व्यक्ति को पद, स्थान और सम्मान …

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सामाजिक समरसता के आदर्श प्रतीक श्रीराम

भगवान राम लोक के आदर्श हैं तथा लोक के कण-कण में समाहित हैं, उन्हें समाज के आदर्श पुरुष के रुप में जाना जाता है इसलिए उन्हें मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है। उनके चरित्र में सामाजिक समरसता परिलक्षित होती है, वे समाज के प्रत्येक अंग को लेकर साथ चलते हैं तथा …

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सामाजिक समरसता की पावन भूमि खल्लारी

छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से लगभग 75 कि मी, जिला मुख्यालय महासमुंद से 25 कि. मी. रायपुर-पदमपुर राष्ट्रीय राजमार्ग में अवस्थित खल्लारी मध्यकालीन ऐतिहासिक स्थल है। इस ऐतिहासिक स्थल के स्मरण में खल्लारी विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र का गठन हुआ है जो बागबाहरा विकासखंड के अंतर्गत ग्राम पंचायत है। इतिहासकार यहां …

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छत्तीसगढ़ी संस्कृति में मितान परम्परा

“जाति और वर्ग भेद समाप्त कर सामाजिक समरसता स्थापित करने वाली परम्परा” जग में ऊंची प्रेम सगाई, दुर्योधन के मेवा त्यागे, साग बिदूर घर खाई, जग में ऊंची प्रेम सगाई। जीवन में प्रेम का महत्व इतना होता है कि वह मनुष्य की जीवन लता को सींचता है और पुष्ट कर …

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समाज की गहरी खाई को भक्ति के माध्यम से पाटने वाले कवि तुलसीदास

गोस्वामी तुलसीदास भारत के गिने-चुने महान कवियों में हैं जिन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से मानव-समाज को सतत् ऊपर उठाने का प्रयत्न किया है। यही कारण है कि रामचरित मानस विनयपत्रिका, हनुमान चालीसा जैसी उनकी रचनाएँ आज भी लाखों लोगों के द्वारा रोज घर-घर में पढ़ी जाती है। भारत के …

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