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Tag Archives: लोक नाट्य

सरगुजा के लोकनृत्य का प्रमुख पात्र “खिसरा”

रंगमंच या नाट्योत्सव भारत की प्राचीन परम्परा है, इसके साथ ही अन्य सभ्यताओं में भी नाटको एवं प्रहसनों का उल्लेख मिलता है। इनका आयोजन मनोरंजनार्थ होता था, नाटकों प्रहसनों के साथ नृत्य का प्रदर्शन हर्ष उल्लास, खुशी को व्यक्त करने के लिए उत्सव रुप में किया जाता था और अद्यतन …

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छत्तीसगढ़ में लोक नाट्य की विधाएं

छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य मूलः ग्राम्य जन-जीवन और लोक कलाकारों का उत्पाद है। यह गाँवों से निकलकर नगरों और महा नगरों तक पहुँचा और ख्याति प्राप्त करते हुए एक लम्बी यात्रा की। छत्तीसगढ़ ही नहीं देश के अन्य प्रांतों के भी लोकनाट्य वाचिक परंपरा के ही उद्भव हैं। वाचिक परंपरा से …

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छत्तीसगढ़ का लोक साहित्य एवं वाचिक परम्परा

छत्तीसगढ़ नवोदित राज्य है। किन्तु हाँ की लोक संस्कृति अति प्राचीन है। यहाँ बोली जाने वाली भाषा छत्तीसगढ़ी है, जो अपनी मधुरता और सरलता के लिए जग विदित है। अर्द्ध मागधी अपभ्रंश से विकसीत पूर्वी हिन्दी की एक समृद्ध बोली है छत्तीसगढ़ी, जो अब भाषा के रूप में प्रतिष्ठित हो …

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