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Tag Archives: लोकनाट्य

नाट्यशास्त्र एवं लोकनाट्य रामलीला

रंगमंच दिवस विशेष आलेख भारत में नाटकों का प्रचार, अभिनय कला और रंग मंच का वैदिक काल से ही निर्माण हो चुका था। भरतमुनि के नाट्यशास्त्र से प्रमाण मिलता है। संस्कृत रंगमंच अपनी चरम सीमा में था। नाटक दृश्य एवं श्रव्य काव्य का रूप है जो दर्शकों को आनंदानुभूति कराती …

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चंदैनी गोंदा के अप्रतिम कला साधक: रामचन्द्र देशमुख

छत्तीसगढ़ माटी की अपनी विशिष्ट पहचान है। जहां राग-रागिनियों, लोककला और लोक संस्कृति से यह अंचल महक उठता है और लोक संस्कृति की सुगंध बिखेरने वाली समूचे छत्तीसगढ़ अंचल की अस्मिता का नाम है ‘चंदैनी गोंदा’। चंदैनी गोंदा कला सौंदर्य की मधुर अभिव्यक्ति है। यह आत्मा का वह संगीत है …

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नाचा : छत्तीसगढ़ का लोकनाट्य

छत्तीसगढ़ के सांस्कृतिक इतिहास की पृष्ठ भूमि मुख्यतः यहाँ का ग्रामीण जनजीवन है ।यहाँ की ग्रामीण संस्कृति में लोकनाटकों का प्रारंभ से ही बड़ा महत्व रहा है । छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक सौम्यता के दर्शन यहाँ के देहातों की नाट्य मण्डलियों के सीधे -सादे ,आडम्बरहीन परन्तु रोचक कार्यक्रमों में होते हैं। …

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